*हमें मिली थी आजादी*
आजादी क्या कहीं मिली है,मिन्नत से मनुहारों से?
हमें मिली थी आजादी, वीरो के प्रचंड प्रहारों से।।
हमसे फौज बना गोरों ने,हमपर अपना राज किया।
लूट लूट कर देश उन्होंने, हमको था बर्बाद किया।।
वे मौन रहे थे, मूक हुए थे,
फिरंगी अत्याचारों से।
हमें मिली थी आजादी, वीरों के प्रचंड
प्रहारों से।।
क्रांतिकारियों को सुभाष ने, फांसी चढते देखा था।
समर्थन की आस थी जिनसे,खींचा लक्ष्मणरेखा था।।
इन्कलाब किया बोस ने, अपने
प्रखर विचारों से।
हमें मिली थी आजादी, वीरों के प्रचंड
प्रहारों से।।
जर्मनी जापान गए, वीरों की
फौज बनायी थी।
*आजाद हिन्द*से गोरों की, सत्ता तब घबराई थी।।
जोश भरा हर वासी में, सिंह गर्जन
हुंकारों से।
हमें मिली थी आजादी, वीरों के प्रचंड
प्रहारों से।।
दिल में जोश जगाया उनने, देशप्रेम सिखलाया।
*खून के बदले आजादी*से,वीरों में शौर्य जगाया।।
धोखा भी खाया सुभाष ने, अपने ही गद्दारों से ।
हमें मिली थी आजादी, वीरों के प्रचंड
प्रहारों से।।
आजादी के लिए वीरों ने,अपना रक्त बहाया था।।
अस्त्र शस्त्र लेकर वीरों ने, देश आजाद कराया था।
आजादी का जोश जगा था,नेता जी
के नारों से।
हमें मिली थी आजादी, वीरों के प्रचंड
प्रहारों से।।
-उमेश यादव,शांतिकुंज,हरिद्वार #umeshpdyadav
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