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शनिवार, 16 अक्तूबर 2021

1.शैलपुत्री


 














1.माँ शैलपुत्री
शैलपुत्री हे मातु भवानी, बल आरोग्य प्रदान करो माँ।
शिवरूपा अम्बे कल्याणी,धन एश्वर्य का दान करो माँ।।

त्रिलोक जननी माँ हिमकन्या, वृषभ वाहिनी हे जगदम्बे।
नवदुर्गा के प्रथम स्वरुप हो,पद्म त्रिशूल कर शोभित अम्बे।।
हेमवती हो कृपा तुम्हारी,दुःख का पूर्ण निदान करो माँ।
शैलपुत्री हे मातु भवानी, बल आरोग्य प्रदान करो माँ।

मनोकामना पूर्ण करो माँ,हम सब पर उपकार करो।
वांछित फल भक्तों को दो माँ,भवसागर से पार करो।।
परमानंद प्रदान करो अब,कष्टों का अवसान करो माँ।
शैलपुत्री हे मातु भवानी,बल आरोग्य प्रदान करो माँ।

शैलसुता हे उमा शिवानी, मुक्ति भुक्ति दायिनी तू माता।
महा-मोह का नाश करो अब,चर-अचर स्वामिनी हे माता।।
सुखमय हो यह जगत तुम्हारा,नवयुग का निर्माण करो माँ।
शैलपुत्री हे मातु भवानी, बल आरोग्य प्रदान करो माँ।
-उमेश यादव

मंगलवार, 12 अक्तूबर 2021

7.माँ कालरात्रि

 7.माँ कालरात्रि

कालरात्रि माँ, रौद्र रूप धर, दुष्टों का संहार करो। 

हे रुद्राणी चंडी माँ, असुरों पर कठिन प्रहार करो।।  


हे काली, हे महाकाली, हे भद्रकाली, रुद्राणी माता।

नाम स्मरण से ही अम्बे,यातुधान त्रसित हो जाता।।  

हे चामुंडा, दुर्गा माँ, खल दनुजों का अहंकार हरो।

कालरात्रि माँ, रौद्र रूप धर, दुष्टों का संहार करो।।


दुष्टों से पीड़ा पाकर माँ, साधू संत अब भटक रहे हैं।

असुर पुनः बढ़ रहे विश्व में,रक्तबीज फिर पनप रहे हैं।। 

माँ चंडिका क्रोध करो फिर, रक्त-बीजों पर वार करो।

कालरात्रि माँ, रौद्र रूप धर, दुष्टों का संहार करो।।


भद्रकाली माँ, भक्त जनों को, अत्याचारी रुला रहे हैं। 

सत्पथगामी सज्जनता को,दैत्य-दुष्ट फिर सता रहे हैं।।

शुभंकरी कल्याण करो माँ, अधमों का उपचार करो।

कालरात्रि माँ, रौद्र रूप धर, दुष्टों का संहार करो।।

-उमेश यादव

सोमवार, 11 अक्तूबर 2021

6.कात्यायिनी

6.कात्यायिनी

कात्यायिनी माते महामाया, रोग शोक संताप हरो।
हे माँ अम्बिके,मातु पराम्बा,जगती का परिताप हरो।।

महिषासुर मर्दिनी हे माता, द्वेष दंभ अब दूर करो।
चन्द्रहास कर शोभित माते, दुष्टों को भयभीत करो।।
दानव घातिनी हे जगदम्बे,जनम जनम के पाप हरो।
कात्यायिनी माते महामाया, रोग शोक संताप हरो।।

योगमाया माँ कात्यायिनी की, अर्चन जो कर पाते हैं।
धर्म अर्थ और काम मोक्ष को,सहज साध ही पाते हैं।।
सिंह वाहिनी चतुर्भुजा माँ, अर्चक के त्रय ताप हरो।
कात्यायिनी माते महामाया, रोग शोक संताप हरो।।

तू अमोघ फल दायिनी माते,योगेश्वरी महिमा है न्यारी।
त्रिभुवन सुंदरी हे माँ अम्बे,गौरवर्ण छवि है अति प्यारी।।
वर दो माते अभय करो अब, जीवन के अभिशाप हरो।
कात्यायिनी माते महामाया, रोग शोक संताप हरो।।
-उमेश यादव 

रविवार, 10 अक्तूबर 2021

5.स्कन्द माता

5.स्कन्द माता 
स्कन्द माता जय जगदम्बे, स्नेहामृत पयपान कराओ। 
भाव शून्य हो रहे हैं उर माँ,स्नेह प्यार की धार बहाओ।।

हे करुणामयी,जग की माता,कृपा करो उपकार करो माँ। 
प्रेम भाव विकसाओ सबमें, भवसागर से पार करो माँ।। 
मनोकामना पूर्ण करो माँ,ह्रदय स्नेह सिंचित कर जाओ।
भाव शून्य हो रहे हैं उर माँ,स्नेह प्यार की धार बहाओ।। 
  
शुभ्रवर्ण कमालासिनी माते,जीव मात्र पर कृपा करो अब।
बंधन मुक्त करो हे माता,दुःख कष्टों को दूर करो अब।। 
चतुर्भुजा हे मातु भवानी, मुक्ति मोक्ष को सहज कराओ।   
भाव शून्य हो रहे हैं उर माँ,स्नेह प्यार की धार बहाओ।।

परम सुखदायी हो माता,निज चरणों में ठौर हमें दो। 
ममता करुणा स्नेह प्यार का,ह्रदय में भण्डार हमें दो।। 
वर दो हे पद्मासना देवी, मूढ़ है बालक श्रेष्ठ बनाओ। 
भाव शून्य हो रहे हैं उर माँ,स्नेह प्यार की धार बहाओ।।
-उमेश यादव

4.माँ कूष्मांडा

4.माँ कूष्मांडा

आदिस्वरुपा माँ कूष्मांडा,सृष्टि धारक पालक हो माता।
रोग शोक का अंत करो माँ,सिंहवाहिनी भगवती माता।।

अष्टभुजा हे आदिशक्ति माँ,निज स्मित से विश्व रचाया।
सूर्य समान दैदीप्य जगत में,दिव्य तेज सर्वत्र समाया।।
यश आरोग्य प्रदान करो माँ,हो भक्तों के भाग्य विधाता।
आदिस्वरुपा माँ कूष्मांडा, सृष्टि धारक पालक हो माता।।

दसों दिशाएँ, ग्रह नक्षत्र सब,तुमसे ही आलोकित होता।
जड़ चेतन व जीव जगत माँ,तुझसे ही संचालित होता।।
दिग-दिगंत से अति अनंत तक,नियंत्रण तेरा है माता।
आदिस्वरुपा माँ कूष्मांडा, सृष्टि धारक पालक हो माता।।

धनुष बाण चक्र गदा कर,अमृत-कलश कमंडल माला।
भक्तों की रक्षक हो माता,दुष्ट संहारक हो तीव्र ज्वाला।।
रिद्धि सिद्धि प्रदायिनी माते,भक्तों को वांछित वर दाता।
आदिस्वरुपा माँ कूष्मांडा,सृष्टि धारक पालक हो माता।।
-उमेश यादव 

शनिवार, 9 अक्तूबर 2021

3.चंद्रघंटा

3.चंद्रघंटा
चंद्रघंटा हे शत्रु-हंता माँ, साधक को नव प्राण दो।
भक्तों के सब कष्ट हरो माँ,याचक को अनुदान दो।।

दिव्य भाव भरो हे माते,शौर्य जगा अब वीर बनाओ।
दिव्य शक्तियां दे हे माते, धीर और गंभीर बनाओ।।
चंद्रार्ध शोभित देवि अम्बे, प्रखर प्रज्ञा का ज्ञान दो। 
चंद्रघंटा हे  शत्रु-हंता माँ, साधक को नव प्राण दो।।

परम शांतिदायक हे अम्बे, शौम्य और विनम्र बनाओ।
सद्य: फलदायिनी हे माते, अंग अंग में कांति बढाओ।।
विपद निवारिणी,आद्यशक्ति माँ,बल बुद्धि विद्या दान दो।
चंद्रघंटा  हे  शत्रु-हंता माँ, साधक को  नव प्राण दो।।

दिव्य विभूतियाँ दे साधक को,माँ वांछित फल देती हैं।
सुख सौभाग्य शांति दे माते, मनोविकार  हर लेती है।।
जनहित में यह प्राण लगे माँ, हमको यह वरदान दो।  
चंद्रघंटा  हे  शत्रु-हंता  माँ, साधक को नव प्राण दो।।
-उमेश यादव

शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2021

2.ब्रह्मचारिणी माता


ब्रह्मचारिणी हे माँ दुर्गे, तप करने की शक्ति हमें दो।
ज्योतिर्मय हे मातु भवानी,चरणों में अनुरक्ति हमें दो।।

ब्रह्माण्ड निर्मात्री हे जगदम्बा, समस्त विद्याओं के ज्ञाता।
सफल करो ये जीवन अपना,कृपा भक्ति याचक हूँ माता।।
त्याग और वैराग्य बढ़ा माँ,अपनी अविचल भक्ति हमें दो।
ब्रह्मचारिणी हे माँ दुर्गे, तप करने की शक्ति हमें दो।।

हे ब्राह्मी माँ, तपश्चारिणी, ब्रह्म शक्ति मय तुम हो माता।
कमंडलु माला शोभित माते,बुद्धि विवेक नर तुमसे पाता।।
हे महादेवी, जगजननी माँ,ज्ञान भक्ति की युक्ति हमें दो।
ब्रह्मचारिणी हे माँ दुर्गे, तप करने की शक्ति हमें दो।।

सदाचार, संयम को माते, जीवन का आधार बना दो।
दुःख कष्टों से मुक्त हो जीवन,शान्तिमय संसार बनादो।।
त्रिभुवन सुंदरी हे माँ अम्बे,भव बंधन से मुक्ति हमें दो।
ब्रह्मचारिणी हे माँ दुर्गे, तप करने की शक्ति हमें दो।।
–उमेश यादव