यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 22 मार्च 2022

तुम्हें पहचान दूंगा

*तुम्हें पहचान दूंगा*

गर कभी मन हो विकल,तुम याद करना,

पोंछ तेरे अश्रु को मुस्कान दूंगा।

भटक जाओ गर कहीं मत धैर्य खोना,

अर्श तक पहुंचा तुम्हें पहचान दूंगा।।

 

दे रहा पतवार तेरे हाथ में अब,

लहर से डरना नहीं, मैं साथ ही हूँ।

भँवर में नैया कभी जब डगमगाए,

डांड बनकर मैं तुम्हारे हाथ ही हूँ।।

जिंदगी के जंग में हर जीत होगी,

पार्थ बन जा, कृष्ण सा रथ हांक दूंगा।

गर कभी मन हो दुखी तुम याद करना,

पोंछ तेरे अश्रु को मुस्कान दूंगा।

 

अंग अवयव हो हमारे, प्राण हो तुम,

रक्त का हर कण तुम्हीं,हर श्वास हो।

हाथ हो मेरे तुम्हीं, अब काम कर लो,

नए युग के सृजन का विश्वास हो।।

पूर्ण करना है तुम्हें हर काम अपना,

ह्रदय से हरपल तुम्हें मैं मान दूंगा।

गर कभी मन हो दुखी तुम याद करना,

पोंछ तेरे अश्रु को मुस्कान दूंगा।।

 

कष्ट भी होंगे तुम्हें मैं जानता हूँ,

पर दुखों से ना कभी भी हारना है।

हो मेरे कंधे तुम्हीं, हो दृष्टि मेरी,

विकल हैं जो मनुज उनको तारना है।।

दिल के टुकड़े हो मेरी तुम धड़कनें हो,

पुत्र हो मेरे तुम्ही पहचान दूंगा।

गर कभी मन हो विकल,तुम याद करना,

पोंछ तेरे अश्रु को मुस्कान दूंगा।

 

छिल भी जाएँ पांव या फिर कष्ट होवें,

घाव में मरहम लगाता हाथ होगा।

जोश में भर कार्य जब पूरा करोगे,

पीठ पर थपकी लगाता हाथ होगा।।

स्नेह ममता से भरा ये साथ मेरा,

हर बला में साथ हूँ, अहसास दूंगा।

गर कभी मन हो विकल तुम याद करना,

पोंछ तेरे अश्रु को मुस्कान दूंगा।।

 

मैं दिखूं या ना दिखूं, पर शक्ति मेरी,

प्रलय के अंतिम प्रहर तक साथ होगा।

सोचना मत की अकेले हो कहीं तुम,

जन्म जन्मान्तर तलक भी साथ होगा।

जब कभी असहाय हो मुझको पुकारो, 

मैं सहारा बन तुम्हें नव प्राण दूंगा।

गर कभी मन हो दुखी तुम याद करना,

पोंछ तेरे अश्रु को मुस्कान दूंगा।।

 

मै तुम्हारा हूँ सदा, विश्वास करलो,

तुम हमारे ही रहोगे,आस है यह।

कर्मपथ के दौड़ में जो साथ हैं,

नयन तारे हैं मेरे अहसास है यह।। 

जिंदगी की राह में जो शूल होंगे,

शूल से पदत्रान बनकर त्राण दूंगा।

गर कभी मन हो दुखी तुम याद करना,

पोंछ तेरे अश्रु को मुस्कान दूंगा।।

भटक जाओ गर कहीं मत धैर्य खोना,

अर्श तक पहुंचा तुम्हें पहचान दूंगा।।

-उमेश यादव

 


रविवार, 20 मार्च 2022

आओ होली आज मनाएं।।

नफरत हिंसा घृणा द्वेष को,

इस होली में आज जलायें।
स्नेह प्यार ममता समता का,
आओ सबको रंग लगाएं।
आओ होली आज मनाएं।।
आपस में जो रंज हुआ है,
कटुता से दिल भंज हुआ है।
रंग गुलाल से धुलें उसे हम,
गले मिलें सब बात भुलाएं।
आओ होली आज मनाएं।।
शीत ऋतु को जाने दें अब।
गीत बसंत के गाने दे अब।
मौसम ने ली है अंगड़ाई।
रंग गुलाल की हवा बहाएं।
आओ होली आज मनाएं।।
अशुभ वृति को आज हटा दें।
मन के दुर्गुण आज मिटा लें।
ईर्ष्या द्वेष अब जल के रहेंगे ,
सब पर स्नेह रंग बरसायें।
आओ होली आज मनाएं।।
बहुत हो गया तू तू मैं मैं,
मैं को अब से हम में बदलें,
घर परिवार समाज के हित में,
अहं भाव को आज गलाएँ।
आओ होली आज मनाएं।
होली बने पर्याय ख़ुशी का,
क्षमा प्रेम सहकार हँसी का,
निज पहचान मिटाकर आओ,
देश प्रेम का रंग चढ़ाएं।
आओ होली आज मनाएं।
शुभ होली
-उमेश यादव

खेलेंगे हम होली

 खेलेंगे हम होली

आमों की बौर से मस्त हुआ,कोयल ने कुहू बोली।
लाओ रंग गुलाल सभी मिल, खेलेंगे अब होली।।
क्यों बैठा है गुमसुम प्यारे,आजा रंग आजमाले।
थोडा सा हंस लो सबके संग,थोड़ा गुजिया खाले।।
फगुआ की मस्ती में झूमो, करलो ज़रा ठिठोली।
लाओ रंग गुलाल सभी मिल, खेलेंगे अब होली।।
डर लगता है यदि रंगों से,कुमकुम जरा लगालो.
गाल गुलाल से रंग लो थोड़ा,होली आज मनालो
तनिक अबीर का टीका लेकर,बन जाओ हमजोली।
लाओ रंग गुलाल सभी मिल, खेलेंगे अब होली।।
शुष्क रहे न अंग कोई भी,रंग गुलाल लगाओ।
ले हाथों में पिचकारी सब स्नेह रंग बरसाओ।।
मस्ती में सब झूमें नाचें,गायें सब मिल होली।
लाओ रंग गुलाल सभी मिल, खेलेंगे अब होली।।
पिचकारी तेरा काम यही है,अन्दर बाहर रंग दो।
है कोई बैठा उदास तो,रंग उसको अंग अंग दो।।
सतरंगी महफ़िल सजने दो,बनने दो अब टोली।
लाओ रंग गुलाल सभी मिल, खेलेंगे अब होली।।
जो हो ली सो होली, आओ नए रंग अपनाएँ।
अंतर्मन भी करें स्वच्छ, कडवाहट दूर भगाएं।।
सुनें प्यार की मधुरगान,कोयल की मीठी बोली।
लाओ रंग गुलाल सभी मिल, खेलेंगे अब होली।।
-उमेश यादव
Now Playing