*तुम्हें पहचान दूंगा*
गर कभी मन हो विकल,तुम याद करना,
पोंछ तेरे अश्रु को मुस्कान दूंगा।
भटक जाओ गर कहीं मत धैर्य खोना,
अर्श तक पहुंचा तुम्हें पहचान दूंगा।।
दे रहा पतवार तेरे हाथ में अब,
लहर से डरना नहीं, मैं साथ ही हूँ।
भँवर में नैया कभी जब डगमगाए,
डांड बनकर मैं तुम्हारे हाथ ही हूँ।।
जिंदगी के जंग में हर जीत होगी,
पार्थ बन जा, कृष्ण सा रथ हांक दूंगा।
गर कभी मन हो दुखी तुम याद करना,
पोंछ तेरे अश्रु को मुस्कान दूंगा।
अंग अवयव हो हमारे, प्राण हो तुम,
रक्त का हर कण तुम्हीं,हर श्वास हो।
हाथ हो मेरे तुम्हीं, अब काम कर लो,
नए युग के सृजन का विश्वास हो।।
पूर्ण करना है तुम्हें हर काम अपना,
ह्रदय से हरपल तुम्हें मैं मान दूंगा।
गर कभी मन हो दुखी तुम याद करना,
पोंछ तेरे अश्रु को मुस्कान दूंगा।।
कष्ट भी होंगे तुम्हें मैं जानता हूँ,
पर दुखों से ना कभी भी हारना है।
हो मेरे कंधे तुम्हीं, हो दृष्टि मेरी,
विकल हैं जो मनुज उनको तारना है।।
दिल के टुकड़े हो मेरी तुम धड़कनें हो,
पुत्र हो मेरे तुम्ही पहचान दूंगा।
गर कभी मन हो विकल,तुम याद करना,
पोंछ तेरे अश्रु को मुस्कान दूंगा।
छिल
भी जाएँ पांव या फिर कष्ट होवें,
घाव में मरहम लगाता हाथ होगा।
जोश में भर कार्य जब पूरा करोगे,
पीठ पर थपकी लगाता हाथ होगा।।
स्नेह ममता से भरा ये साथ मेरा,
हर बला में साथ हूँ, अहसास दूंगा।
गर कभी मन हो विकल तुम याद करना,
पोंछ तेरे अश्रु को मुस्कान दूंगा।।
मैं दिखूं या ना दिखूं, पर शक्ति मेरी,
प्रलय के अंतिम प्रहर तक साथ होगा।
सोचना मत की अकेले हो कहीं तुम,
जन्म जन्मान्तर तलक भी साथ होगा।
जब कभी असहाय हो मुझको पुकारो,
मैं सहारा बन तुम्हें नव प्राण दूंगा।
गर कभी मन हो दुखी तुम याद करना,
पोंछ तेरे अश्रु को मुस्कान दूंगा।।
मै तुम्हारा हूँ सदा, विश्वास करलो,
तुम हमारे ही रहोगे,आस है यह।
कर्मपथ के दौड़ में जो साथ हैं,
नयन तारे हैं मेरे अहसास है यह।।
जिंदगी की राह में जो शूल होंगे,
शूल से पदत्रान बनकर त्राण दूंगा।
गर कभी मन हो दुखी तुम याद करना,
पोंछ तेरे अश्रु को मुस्कान दूंगा।।
भटक जाओ गर कहीं मत धैर्य खोना,
अर्श तक पहुंचा तुम्हें पहचान दूंगा।।
-उमेश यादव