*अब तो कुछ हिसाब चाहिए।*
*हर एक देशवासी को*
*अब तो कुछ हिसाब चाहिए।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिए।।*
*जिंदगी भर खेती कर भी*
*पेट नहीं जो भर पाता है ।*
*मुखिया जी बनते ही कैसे*
*करोड़पति बन जाता है ।*
*सायकिल वाले ५ साल में*
*नेता घूमते गाड़ी में।*
*मजदूरी करने वाली पत्नी*
*दिखती महँगी साड़ी में।*
*कहाँ से आये इतने पैसे*
*इसका हमें हिसाब चाहिए।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिए।*
*पढ़े लिखे जो MA BA*
*वो तो दीखते ठेले में।*
*मेट्रिक फ़ैल माननीय लोग*
*दीखते संसद के मेले में।*
*भ्रष्टाचार के कारण देखो*
*क्लर्क करोड़पति बन जाता है।*
*मेहनत करने वाला अब भी*
*भर पेट नही खा पाता है।*
*मेहनत का फल कैसा होता*
*इसका हमें जवाब चाहिये।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिए।*
*छोटे से कर्जे की खातिर*
*घर नीलाम हो जाता है।*
*अरबों कर्जे लेने वाला*
*विश्व भ्रमण पर जाता है।*
*जनता के वोटों से नेता*
*महाराज बन जाता है ।*
*जनता के हिस्से का सारा*
*वो खुद ही खा जाता है।*
*भविष्य में ऐसा न हो पाए*
*अब तो कुछ बदलाव चाहिए।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिए।*
*नहीं हमें ईर्ष्या है इनसे*
*पर इतना उपकार करो।*
*माननीयों के शिक्षा और*
*सम्पति पर विचार करो।*
*बिना पढ़े नेता बन जाते*
*कानून में बदलाव करो।*
*देश नही कोई लुट पाये*
*ऐसा ठोस उपाय करो।*
*दीनों का सेवक पैसेवाला*
*इसका हमें हिसाब चाहिए।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिए।*
*आजादी के सतर बरसों मे*
*हमने बहुत विकास किया है।*
*पूरी दुनिया को भी हमने*
*एक मजबुत विश्वास दिया है।*
*पर एक अशिक्षित या गरीब पर*
*हम सबको धिक्कार है।*
*सभी सुखी हो,सभी स्वस्थ हो*
*यह सबका अधिकार है।*
*देशहित हो सबसे उपर*
*अब ऐसा ही विश्वास चाहिये।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिये।*
-----उमेश यादव,शान्तिकुँज,हरिद्वार।
*हर एक देशवासी को*
*अब तो कुछ हिसाब चाहिए।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिए।।*
*जिंदगी भर खेती कर भी*
*पेट नहीं जो भर पाता है ।*
*मुखिया जी बनते ही कैसे*
*करोड़पति बन जाता है ।*
*सायकिल वाले ५ साल में*
*नेता घूमते गाड़ी में।*
*मजदूरी करने वाली पत्नी*
*दिखती महँगी साड़ी में।*
*कहाँ से आये इतने पैसे*
*इसका हमें हिसाब चाहिए।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिए।*
*पढ़े लिखे जो MA BA*
*वो तो दीखते ठेले में।*
*मेट्रिक फ़ैल माननीय लोग*
*दीखते संसद के मेले में।*
*भ्रष्टाचार के कारण देखो*
*क्लर्क करोड़पति बन जाता है।*
*मेहनत करने वाला अब भी*
*भर पेट नही खा पाता है।*
*मेहनत का फल कैसा होता*
*इसका हमें जवाब चाहिये।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिए।*
*छोटे से कर्जे की खातिर*
*घर नीलाम हो जाता है।*
*अरबों कर्जे लेने वाला*
*विश्व भ्रमण पर जाता है।*
*जनता के वोटों से नेता*
*महाराज बन जाता है ।*
*जनता के हिस्से का सारा*
*वो खुद ही खा जाता है।*
*भविष्य में ऐसा न हो पाए*
*अब तो कुछ बदलाव चाहिए।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिए।*
*नहीं हमें ईर्ष्या है इनसे*
*पर इतना उपकार करो।*
*माननीयों के शिक्षा और*
*सम्पति पर विचार करो।*
*बिना पढ़े नेता बन जाते*
*कानून में बदलाव करो।*
*देश नही कोई लुट पाये*
*ऐसा ठोस उपाय करो।*
*दीनों का सेवक पैसेवाला*
*इसका हमें हिसाब चाहिए।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिए।*
*आजादी के सतर बरसों मे*
*हमने बहुत विकास किया है।*
*पूरी दुनिया को भी हमने*
*एक मजबुत विश्वास दिया है।*
*पर एक अशिक्षित या गरीब पर*
*हम सबको धिक्कार है।*
*सभी सुखी हो,सभी स्वस्थ हो*
*यह सबका अधिकार है।*
*देशहित हो सबसे उपर*
*अब ऐसा ही विश्वास चाहिये।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिये।*
-----उमेश यादव,शान्तिकुँज,हरिद्वार।