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सोमवार, 8 अक्तूबर 2018

अब तो कुछ हिसाब चाहिये।


*अब तो कुछ हिसाब चाहिए।*

*हर  एक देशवासी को*
*अब तो कुछ हिसाब चाहिए।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिए।।*

*जिंदगी भर खेती कर भी*
*पेट नहीं जो भर  पाता है ।*
*मुखिया जी बनते ही कैसे*
*करोड़पति  बन जाता है ।*
*सायकिल वाले ५ साल में*
*नेता घूमते गाड़ी में।*
*मजदूरी करने वाली पत्नी*
*दिखती  महँगी साड़ी में।*
*कहाँ से आये इतने पैसे*
*इसका हमें हिसाब  चाहिए।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिए।*

*पढ़े लिखे जो MA BA*
*वो तो दीखते ठेले में।*
*मेट्रिक फ़ैल माननीय लोग*
*दीखते संसद के मेले में।*
*भ्रष्टाचार के कारण देखो*
*क्लर्क करोड़पति बन जाता  है।*
*मेहनत  करने वाला अब भी*
*भर पेट  नही खा पाता है।*
*मेहनत का फल कैसा होता*    
*इसका हमें जवाब चाहिये।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिए।*

*छोटे  से कर्जे की खातिर*
*घर नीलाम  हो जाता है।*
*अरबों कर्जे  लेने वाला*
*विश्व भ्रमण पर जाता  है।*
*जनता के वोटों से नेता*  
*महाराज बन जाता है ।*
*जनता के हिस्से का सारा*
*वो खुद ही खा जाता है।*
*भविष्य में ऐसा न हो पाए*
*अब तो कुछ बदलाव चाहिए।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिए।*

*नहीं हमें ईर्ष्या है इनसे*
*पर इतना उपकार करो।*
*माननीयों के शिक्षा और*
*सम्पति पर विचार करो।*
*बिना पढ़े नेता बन जाते*
*कानून में बदलाव करो।*
*देश नही कोई लुट पाये*
*ऐसा ठोस उपाय करो।*
*दीनों  का सेवक पैसेवाला*
*इसका हमें हिसाब चाहिए।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिए।*

*आजादी के सतर बरसों मे*
*हमने बहुत विकास  किया है।*
*पूरी दुनिया को भी हमने*
*एक मजबुत विश्वास दिया है।*
*पर एक अशिक्षित या गरीब  पर*
*हम सबको धिक्कार है।*
*सभी सुखी हो,सभी स्वस्थ हो*
*यह सबका अधिकार है।*
*देशहित हो सबसे उपर*
*अब ऐसा ही विश्वास चाहिये।*
*आज कुछ सवाल है*
*इसका हमें जवाब चाहिये।*

-----उमेश यादव,शान्तिकुँज,हरिद्वार।