जो भी आया है इस जग में, एक दिन सबको जाना है।कुछ-कुछ यादें छोड़ यहाँ पर, अंतिम वही ठिकाना है।।
परम-तत्व का अंश जीव यह,पल-पल से है जीवन बनता।आत्मरूप में अभ्यागत हैं, असल पता वहीँ का रहता।।जब प्रभु का आदेश है मिलता , विलम्ब नहीं हो पाना है।जो भी आया है इस जग में, एक दिन सबको जाना है।रंगमंच के पात्र हैं हमसब, अपना किरदार निभाते है।अपना रोल ख़तम होते ही, नेपथ्य की शान बढ़ाते है।।सब कुछ यहीं छोड़कर बन्दे, खाली हाथ ही जाना है।जो भी आया है इस जग में,एक दिन सबको जाना है।कब जाना है, कैसे जाना ,ये तो हमको पता न होता।नट है वो, नचाता सबको, जैसा उसका मन है करता।।उसकी लीला बड़ी निराली, समझ नहीं यह आना है।जो भी आया है इस जग में, एक दिन सबको जाना है।स्तुति –निंदा होती पीछे, गुण अवगुण सभी बताते हैंप्रेम – मोह से बंधे अपने जो, विरह वेदना पाते हैं।।अभिनय तो बस अभिनय ही है,हंसना और रुलाना है।जो भी आया है इस जग में,एक दिन सबको जाना है।कारण कुछ भी हो जाते हैं, जीवन जब जाना होता है।दोष किसी पर लग जाता है,समय पूर्ण जब हो जाता है।।ईश्वरके हाथों ही होता, मारना और बचाना है ।जो भी आया है इस जग में,एक दिन सबको जाना है।जीवन मरण का चक्र हमेशा, यूँ ही चलता आया है।शुभ कर्म सुनिश्चित करें यहाँ,जब तक जीवन है,काया है।।सेवा धर्म ही मोक्ष मार्ग है, उसमें समय बिताना हैजो भी आया है इस जग में,एक दिन सबको जाना है।शुभ कर्मों की गठरी लेकर ,जब हम घर पर जायेंगे।चैन की नींद आराम करेंगे, परम गति को पाएंगे।।परम पिता के अंश मात्र हम,उनमें ही मिल जाना है।जो भी आया है इस जग में,एक दिन सबको जाना है।-उमेश यादव