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रविवार, 7 फ़रवरी 2021

हरिद्वार महाकुम्भ


 हरिद्वार महाकुम्भ 


भक्ति ,श्रद्धा, प्रेम,भाव से,चलो चलें सब कुम्भ नहायें।

हरिद्वार के  महाकुम्भ  से, चलो चलें अमृत भर लायें।।

                                                चलो कुम्भ नहायें 

 

दिव्य हिमालय से ऋषियों ने,अमृत का संचार किया है

मनुज मात्र के कष्टों का,दिव्यौषध से उपचार किया है।।

श्रद्धा सहित, प्रेम मगन हो, मुनि-ऋषियों की जय गायें

हरिद्वार के  महा कुम्भ से, चलो चलें  अमृत भर लायें।।

 

सुधाकलश के अमृत रस से,दिव्य शक्तियां जाग रहीं हैं

दुष्ट-दैत्य का ठौर नहीं अब,असुर शक्तियां भाग रही हैं।।

देव संस्कृति  की  जय  होवे, धर्म ध्वजा जग में फहराएं

हरिद्वार के महा  कुम्भ  से, चलो  चलें  अमृत भर  लायें।।

 

देश  की  नव  चेतना  को, एकता को, बल  मिल रहा

राष्ट्र की हर चुनोतियों का, समस्या का हल मिल रहा।।

धर्म शक्ति से,राष्ट्र भक्ति का,द्वार द्वार जा अलख जगाएं

हरिद्वार के महा कुम्भ  से, चलो  चलें अमृत भर  लायें।।

 

राष्ट्र  जागरण  के  लिए  तो, कुम्भ  बृहत् अभियान है

आस्था  के  महापर्व  से जन, मानस का कल्याण है।।

राष्ट्र धर्म  को  जाग्रत करने,मानवता का  पाठ पढ़ायें  

हरिद्वार  के महा  कुम्भ से,चलो चलें अमृत भर लायें।।

-उमेश यादव 5-2-21

 

मंगलवार, 12 जनवरी 2021

विवेकानन्द- चिर युवा

 


  विवेकानंद , हे चिर युवा

धर्म संस्कृति की विजय पताका, दिग्दिगंत फहराए

विवेकानंद , हे चिर युवा, भारत का मान  बढाए।।

 

रुको न जब तक लक्ष्य न पाओ,ऐसा प्रखर विचार दिया था

निर्बल नहीं,तुम सिंह वीर हो,युवकों को हुंकार दिया था

ज्ञान, कर्म  और भक्ति  की  धारा, चहुँ  दिश में पहुंचाए

धर्म  संस्कृति  की  विजय पताका, दिग्दिगंत  फहराए।।

 

डरें  नहीं, निर्भीक बनें हम, पीड़ितों का उपकार करेंगे

स्वयं को श्रम से पुष्ट बनाकर,दुखियो का उद्धार करेंगे।।

हर  मानव  में  हरि  बसे  हैं , यह  सन्देश  फैलाये

धर्म संस्कृति की विजय पताका, दिग्दिगंत फहराए।।


धर्म  हमारी राष्ट्र शक्ति है, जन जन तक पहुंचाना है

हर वासी को  भक्ति सिखाकर, राष्ट्र समर्थ बनाना है।।

विश्व  पटल  पर  भारत  माँ का, शान  बढ़ाने  आये

धर्म संस्कृति की विजय पताका, दिग्दिगंत फहराए।।

 

दर्शन उपनिषदों  की गाथा, पश्चिम ने स्वीकार किया था

भाई बहनों  का संबोधन , जग ने पहली बार सुना था ।।

हे  सन्यासी,  वीर  युवा,  तुम  राष्ट्र  जगाने  आये  थे

धर्म संस्कृति की विजय पताका, दिग्दिगंत फहराए थे।।

-उमेश यादव

                    https://youtu.be/Q_mEai13KJI