इस दु:ख की घड़ी में, निर्धन के साथ आयें।
करें सम्मान उन का, आज उनको हँसाएं।।
जो महल बनाते रहे, बिना छत उन्हें सुलाया।
जिनने सबको हँसाया, हमने उनको रुलाया।।
किराये के भय से, ना उन्हें हम ड़राएं।
इस दु:ख की घड़ी में, निर्धन के साथ आयें।
जिनने गाड़ियाँ बनायी, पैदल उन्हें चलाया।
चल पड़े हमें वो तज के,ना उनको रोक पाया।।
जहाँ जा रहे वो, वहां उनको पहुचाएं ।
इस दु:ख की घड़ी में, निर्धन के साथ आयें।
जो धान्य उगाते हैं ,उन्हें अन्न को तरसाया।
ना पेट भर सके वो, जिनने जग को खिलाया।।
पूछें अगल बगल में, ना भूखे उन्हें सुलायें।
इस दु:ख की घड़ी में, निर्धन के साथ आयें।
जिनसे फैक्ट्रीयाँ हैं चलती,वो आज निराश्रित है।
जिनके सहारे हम थे, आज वो पीडित हैं ।।
मौका मिला है हमको,वो फर्ज हम निभाएँ।
इस दु:ख की घड़ी में, निर्धन के साथ आयें।।
--उमेश यादव
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बुधवार, 26 अगस्त 2020
इस दु:ख की घड़ी में, निर्धन के साथ आयें।
सोमवार, 24 अगस्त 2020
ऐसी कृपा करो माँ गंगे।
ऐसी कृपा करो माँ गंगे।
ऐसी कृपा करो माँ गंगे,भव सागर तर जाएँ हम।
सारे पाप मिटा दे अंबे,बस तेरे गुण गायें हम।
हम ना जाने पूजन अर्चन,ना जाने माँ स्तुति वन्दन।
भाव हमारे शुद्ध नहीं है, ढोंग आरती,रोली, चन्दन।।
सारे मैल धुला दे माते , बस तेरे हो पायें हम।
सारे पाप मिटा दे अंबे, बस तेरे गुण गायें हम।
सूरज चाँद सितारे माता ,, सब तेरी जय गाते है।
सुर मुनि ऋषि तपस्वी सबहिं, गोद तुम्हारे आते हैं।
ज्ञान की धार पिला दे मैया, मुक्ति सहज पा जायें हम।
सारे पाप मिटा दे अंबे, बस तेरे गुण गायें हम।
मिट जाये माँ छुद्र कामना, मिटे हृदय से हीन भावना।
तुझ जैसा माँ पूत हों तेरे, भरे ह्रदय में विमल भावना।।
अपनी तरह बनाले मईया, पर हित में मिट जाएँ हम।
सारे पाप मिटा दे अंबे, बस तेरे गुण गायें हम।
-- उमेश यादव
रविवार, 23 अगस्त 2020
हे गणपति तेरी जय हो
हे गणपति तेरी जय हो, जय हो।
कष्ट निवारक,विघ्न विनाशक।
एक दन्त हे असुर संहारक।।
लम्बोदर तेरी जय हो, जय हो।
हे गणपति तेरी जय हो, जय हो।।
मंगल मूर्ति , तुम्ही गजानन।
शिव गौरी के हो तुम आनंद।
सुखकर्ता तेरी जय हो, जय हो।
हे गणपति तेरी जय हो, जय हो।।
हे भालचंद्र ,हे बुद्धिनाथ प्रभु।
दुखियों के तुम सदा साथ प्रभु।।
सिद्धि दायक तेरी जय हो, जय हो।
हे गणपति तेरी जय हो, जय हो।।
जगती का तुम ताप हरो अब।
कार्य सभी के सफल करो सब।।
वक्रतुंड तेरी जय हो, जय हो।
हे गणपति तेरी जय हो, जय हो।।
प्राणिमात्र सब विलख रहे है।
बुद्धिहीन बन भटक रहे है।।
बुद्धि विधाता जय हो, जय हो।
हे गणपति तेरी जय हो, जय हो।।
हे कृपाकर कृपा करो अब।
नवयुग का उद्घोष करो अब।।
श्री गणेश तेरी जय हो, जय हो।
हे गणपति तेरी जय हो, जय हो।।
--उमेश यादव
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