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गुरुवार, 12 मई 2022

गुरुवर तेरी कृपा ने Guruwar Teri Kripa Ne #shantikunjvideo #guruwarter...

    
गुरुवर तेरी कृपा ने गुरुवर तेरी कृपा ने, किस्मत जगा दिया है। दोजख सा जी रहा था,जन्नत बना दिया है।। भटका पडा था यूँ ही, ना ठौर था हमारा। ठोकर ही लग रही थी, तुमने दिया सहारा।। उंगली पकड़ के तूने,चलना सीखा दिया है। गुरुवर तेरी कृपा ने,किस्मत जगा दिया है।। माया मरीचिका में, ये मन भटक रहा था। सुख साधनों के पीछे, ये तन भटक रहा था।। दुःख से भरा था जीवन,सुख सार दे दिया है। गुरुवर तेरी कृपा ने, किस्मत जगा दिया है।। छल दंभ द्वेष से तो,कलुषित हुआ था जीवन। मद लोभ और घृणा से,दूषित हुआ था ये मन।। हर दोष को मिटाकर, जीवन बदल दिया है। गुरुवर तेरी कृपा ने, किस्मत जगा दिया है।। जिस पल से ये हाथ थामा,जीवन संवर गया है। हर सांस अब है तेरा, तन मन निखर गया है।। मै दास हूँ तुम्हारा, सब कुछ भुला दिया है। गुरुवर तेरी कृपा ने, किस्मत जगा दिया है।। -उमेश यादव

गुरुवार, 5 मई 2022

चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम Chalo Re Man Shantikunj Gurudham

चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम Chalo Re Man Shantikunj Gurudham प्रज्ञा गीत भजन AWGP Pragya Geet गीतकार:- श्री उमेश यादव स्वर :- सुश्री स्वेता यादव चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम। जहां बसतु हैं मातु हमारी, गुरुवर संग ललाम।। शांतिकुंज चैतन्य तीर्थ है, ऋषियों का दिव्य निकेतन। कण-कण सिंचित तप उर्जा से,दीप्त सभी जड़ चेतन।। चलो चलें उस पुण्य भूमि पर, दंडवत करें प्रणाम। चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम।। शान्तिकूँज के दिव्य तीर्थ में, ऋषि-मुनि-संत बिराजै। आदित्य, अश्वनी, वरुण, रूद्र संग सभी देवता राजै।। देव लोक सी अनुपम सुन्दर, रुचिर रम्य अभिराम। चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम।। दिव्य सिद्ध चैतन्य तीर्थ का, दरशन धन्य बनाता। जनम-जनम का कष्ट क्लेश भी,पल भर में मिट जाता।। सजल श्रध्दा और प्रखर प्रज्ञा के,चरणों में नित्य प्रणाम। चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम।। यज्ञ निरत जीवन हो सबका, पर हित जीना सीखे। देश-धर्म-संस्कृति की खातिर,हंस हंस मरना सीखे।। यज्ञ देव को आहुति देवें, कर्म करें निष्काम। चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम।। सप्तऋषियों की परा-वाणी को,अनुभव आज करें हम। ऋषियो मुनियों संतो जैसा, जन हित स्वयं तपें हम।। शांतिकुञ्ज में तप की उर्जा, बहती है अविराम। चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम।। सतत साधना से गुरुवर ने, जाग्रत तीर्थ बनाया। गायत्री के महामंत्र को, जन जन तक पहुँचाया।। अखंड दीप के दिव्य ज्योति को, बारम्बार प्रणाम। चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम।। दिव्य हिमालय मंदिर में हम,प्रभु का ध्यान लगायें। दिग्दर्शन कर दिव्य तीर्थ का, जीवन सफल बनाएं।। आओ करें तीर्थ सेवन हम, पायें दिव्य वरदान। चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम।। -उमेश यादव !! हम सुधरेंगे-युग सुधरेगा। हम बदलेंगे-युग बदलेगा !! सावधान! युग बदल रहा है। सावधान। नया युग आ रहा है। हमारी युग निर्माण योजना- सफल हो, सफल हो, सफल हो। हमारा युग निर्माण सत्संकल्प- पूर्ण हो, पूर्ण हो, पूर्ण हो। इक्कीसवीं सदी- उज्ज्वल भविष्य। वन्दे- वेद मातरम्। #ChaloReManShantikunjGurudham #RishiChintan #PtShriramSharmaAcharya

बुधवार, 4 मई 2022

भगवान परशुराम जयंती @PARSHURAM PARIVAR HARYANA @YouTube@Rishi Chintan @P...



भगवान परशुराम

क्षत्रियहीन किया था जग को,मेटा था अभिमान को।

नमन करें हम संस्कृति रक्षक, भार्गव परशुराम को।।

 

दुष्ट दलन कर धरा धाम को,पुण्य पवित्र बनाया था।

शोषण और दमन चक्र से,जग को मुक्त कराया था।।

पुण्य कार्य है खंडित करना, अहंकार अभिमान को।

नमन करें हम संस्कृति रक्षक, भार्गव परशुराम को।।

 

वेद ज्ञान हों मुख में सारे,पीठ पर धनुष सजायें।

ब्रह्म शक्ति और शस्त्र शक्ति से, धर्माचरण  कराएं।।

करें प्रणाम हम धर्मोद्धारक, परशुधर भगवान् को।

नमन करें हम संस्कृतिरक्षक, भार्गव परशुराम को।।

 

थे समर्थ गुरुदेव जगत के,शस्त्र शाष्त्र के ज्ञाता थे।

धर्म चेतना अवतरित करने, अवतारी विधाता थे।।

धारण किया था परशु को,संस्कृति के उत्थान को।

नमन करें हम संस्कृतिरक्षक, भार्गव परशुराम को।।

 

दंभ मनुज का मिट जाता है,ब्राह्मणत्व गर जागे।

सहश्र हाथ भी काम न आते,सत्य न्याय के आगे।।

आदर्श बनाए भृगुनंदन को, धर्मरक्षक भगवान् को।

नमन करें हम संस्कृतिरक्षक, भार्गव परशुराम को।।

 

भृगुनंदन के आदर्शों को हम, जीवन में अपनाएँ।

दुष्टों को दंड देना सीखें, सज्जन को सदा बचाएं।।

शस्त्र शास्त्र दोनों आवश्यक,होता जन कल्याण को।

नमन करें हम संस्कृतिरक्षक, भार्गव परशुराम को।। 

-उमेश यादव