चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम
Chalo Re Man Shantikunj Gurudham
प्रज्ञा गीत भजन AWGP Pragya Geet
गीतकार:- श्री उमेश यादव
स्वर :- सुश्री स्वेता यादव
चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम।
जहां बसतु हैं मातु हमारी, गुरुवर संग ललाम।।
शांतिकुंज चैतन्य तीर्थ है, ऋषियों का दिव्य निकेतन।
कण-कण सिंचित तप उर्जा से,दीप्त सभी जड़ चेतन।।
चलो चलें उस पुण्य भूमि पर, दंडवत करें प्रणाम।
चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम।।
शान्तिकूँज के दिव्य तीर्थ में, ऋषि-मुनि-संत बिराजै।
आदित्य, अश्वनी, वरुण, रूद्र संग सभी देवता राजै।।
देव लोक सी अनुपम सुन्दर, रुचिर रम्य अभिराम।
चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम।।
दिव्य सिद्ध चैतन्य तीर्थ का, दरशन धन्य बनाता।
जनम-जनम का कष्ट क्लेश भी,पल भर में मिट जाता।।
सजल श्रध्दा और प्रखर प्रज्ञा के,चरणों में नित्य प्रणाम।
चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम।।
यज्ञ निरत जीवन हो सबका, पर हित जीना सीखे।
देश-धर्म-संस्कृति की खातिर,हंस हंस मरना सीखे।।
यज्ञ देव को आहुति देवें, कर्म करें निष्काम।
चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम।।
सप्तऋषियों की परा-वाणी को,अनुभव आज करें हम।
ऋषियो मुनियों संतो जैसा, जन हित स्वयं तपें हम।।
शांतिकुञ्ज में तप की उर्जा, बहती है अविराम।
चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम।।
सतत साधना से गुरुवर ने, जाग्रत तीर्थ बनाया।
गायत्री के महामंत्र को, जन जन तक पहुँचाया।।
अखंड दीप के दिव्य ज्योति को, बारम्बार प्रणाम।
चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम।।
दिव्य हिमालय मंदिर में हम,प्रभु का ध्यान लगायें।
दिग्दर्शन कर दिव्य तीर्थ का, जीवन सफल बनाएं।।
आओ करें तीर्थ सेवन हम, पायें दिव्य वरदान।
चलो रे मन शान्तिकूँज गुरुधाम।।
-उमेश यादव
!! हम सुधरेंगे-युग सुधरेगा। हम बदलेंगे-युग बदलेगा !!
सावधान! युग बदल रहा है।
सावधान। नया युग आ रहा है।
हमारी युग निर्माण योजना- सफल हो, सफल हो, सफल हो।
हमारा युग निर्माण सत्संकल्प- पूर्ण हो, पूर्ण हो, पूर्ण हो।
इक्कीसवीं सदी- उज्ज्वल भविष्य।
वन्दे- वेद मातरम्।
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