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गुरुवार, 31 दिसंबर 2020

नया वर्ष आया खुशियाँ मनाओ

नया वर्ष आया खुशियाँ मनाओ।।
अरे मौन क्यों हो नये गीत गाओ।
नया वर्ष आया खुशियाँ मनाओ।।

विष से भरा ये जमाना बुरा था।
आतंक साया, जगत यह डरा था।।
बुरा वक्त बीता,अरे गुनगुनाओ।
अरे मौन क्यों हो नये गीत गाओ।।
नया वर्ष आया खुशियाँ मनाओ।।  

घरों मे दुबककर, रहे वर्ष भर हम।
रिश्ते  बिछड़कर, रहे वर्ष भर हम।।
नये साल पर अब,नया स्वर सुनाओ।
अरे मौन क्यों हो नये गीत गाओ।। 
नया वर्ष आया खुशियाँ मनाओ।।  

बहुत हम है  खोये, बहुत सा है पाया।
नये रुप में है,  धरा को सजाया।।
उज्जवल भविष्यत के स्वर अब सुनाओ।
अरे मौन क्यों हो नये गीत गाओ।।
नया वर्ष आया खुशियाँ मनाओ।।  

परजीवी का भय  इतना बड़ा था।
जगत को प्रभु का, संदेश कड़ा था।।
मिलकर बढ़ो जग,नया अब बनाओ।
अरे मौन क्यों हो नये गीत गाओ।।
नया वर्ष आया खुशियाँ मनाओ।।  

उमेश यादव
https://youtu.be/4kDSU4diZ3Q

बुधवार, 16 दिसंबर 2020

रक्त-दान, महादान

रक्त-दान ही महादान है

रक्त-दान ही महादान है, इससे बढ़कर कोई दान  नहीं।

चलो किसी का जान बचाएँ, इससे बड़ा कोई काम नहीं।।

 

ईश्वर ने जीवन देकर ही, हम सब पर उपकार किया है।

मानव तन अनमोल बनाया,यह अनुपम उपहार दिया है।।

इस काया के रहते फिर से, निकले किसी के प्राण नहीं।

रक्त-दान ही महादान है ,इससे बढ़कर कोई दान  नहीं।।

 

रक्त-दान करने से कोई, होता  है  कमजोर  नहीं।

स्वस्थ युवा ही रक्त-दान दें, बलहीन या कमजोर नहीं।।  

कमर कसें हम रक्त-दान को, बुजदिल बनना शान नहीं।

रक्त-दान ही महादान है, इससे बढ़कर कोई दान  नहीं।।

 

किसी व्यक्ति के बच जाने से, अगणित ख़ुशियाँ छाती है।

कितनों का घर बचता है गर,वक्त पे रक्त मिल पाती हैं।।  

खून बिना लाखों मर जाते, शोणित का कोई दाम नहीं।

रक्त-दान ही महादान है, इससे बढ़कर कोई दान  नहीं।।

 

बड़े से दिल से मुक्त ह्रदय, से आओ रक्त-दान करें हम।

जीवन दाता बनें किसी का, नव जीवन प्रदान करें हम।।

सौभाग्य मिला अनुपम तुमको है,इससे बड़ा कोई शान नहीं।

रक्त-दान ही महादान है, इससे बढ़कर कोई दान  नहीं।।

    -उमेश यादव,शांतिकुंज, हरिद्वार

मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

नया तराना


 





कल की बातें छोडो अब तो, 

आया है ये  नया जमाना। 

नये ज़माने में अब सबको, 

गाना है एक नया तराना।।


बाहर की प्रदूषित हवा से,

बचो हमेशा धुल धुवां से।

बिना मास्क के कहीं न जाना,

मुंह पर पट अब सदा लगाना।।


सह भोजन या पिकनिक पार्टी,

शादी व्याह हो बिन बाराती।

धूमधाम अब दूर की बातें,

नहीं पास से हो मुलाकातें।।


चाहे हो जितनी मजबूरी,

दो गज दुरी, सदा जरुरी।

सैनीटाईज़र या साबुन से,

बार बार है हाथ धुलाना।।


काम बिना बाहर न जाना, 

बिना काम के कहीं न छूना। 

गरम पानी ही हरदम पीना,

घर से बाहर कुछ न खाना।। 


हाथ मिलाया करें नहीं अब,

हाथ जोड़ प्रणाम करें सब।

अपनी संस्कृति सबसे न्यारी,

फिर इसको सर्वत्र फैलाना।।


प्राण शक्ति बढालो अब तो, 

योग ध्यान अपनालो अब तो ।

नया रूटीन अपनालो सब तो,

जीवन सरल बना लो अब तो।।


कोरोना असाध्य नहीं है,

कमजोरों से साध्य नहीं है।

छोटी छोटी बात अपनाना,

स्वस्थ रहो खूब मौज मनाना।।

            -उमेश यादव

👉 पांचजन्य उदघोष






पांचजन्य उदघोष हुआ है, आओ रण में शौर्य दिखाओ।

रणभेरी बज उठी है वीरों, आलस में न समय गवाओ।।


सूरज  उग  रहा पूरब  से, मधुर  लालिमा  छाई  है।

ब्रह्मकमल  की  सुखद  सुगंधि, हिमाद्री से  आई है।।

समय अभी है परिवर्तन का,आओ मिलकर शंख बजाओ।

पांचजन्य उदघोष हुआ है,आओ रण में शौर्य दिखाओ ।।

  

पतझर बीत गया है मानों, नव बसंत अब द्वार खड़ा है।

दुरभिसंधि की रातें बीती, संकीर्ण शीत बेसुध पड़ा है।।

नवयुग के शुभ स्वागत हेतु, आओ अर्चन थाल सजाओ।

पांचजन्य उदघोष हुआ है, आओ रण में शौर्य दिखाओ।।

 

नवयुग के इस नये प्रहर में, नव निनाद सुर तान सुनो।

कलरव गूंज रहा चहुँदिश है, केशव का आह्वान सुनो।।

उठो, चलो, दौड़ो अब वीरों, अकर्मण्यता दूर भगाओ ।

पांचजन्य उदघोष हुआ है, आओ रण में शौर्य दिखाओ।

रणभेरी बज उठी है वीरों, आलस में न समय गवाओ।।

                                                            -उमेश यादव