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बुधवार, 24 फ़रवरी 2021

महाकुम्भा -हरिद्वार-आपके द्वार

 


महाकुम्भ: हरिद्वार-आपके द्वार

 

महाकुम्भ की पावन बेला ,सुधा  कलश ले आयें हैं।

महाकुम्भ का महाप्रसाद ले, द्वार  द्वार पहुंचाए है।।

 

सागर मंथन करके जग ने,अमृत कुम्भ को पाया था।

देवासुर के रण  में हरि ने,दुष्टों  से कुम्भ बचाया था।।

देव संस्कृति रक्षक देवों को, सुधा पान करवाया  था।

दानवता फिर पस्त हुई थी,सतयुग जग में आया था।।

पुनः देवत्व की दिव्य ध्वजा,घर घर फहराने आये हैं।

महाकुम्भ  का  महाप्रसाद  ले, द्वार द्वार पहुंचाए है।।

 

आदि शंकराचार्य ने जग में, धर्म ध्वजा फहराया था।

सम्पूर्ण देश तब एक हुआ था, केशरिया लहराया था।।

चार धाम और चार कुम्भ से,शुभ संस्कार जगाया था।

धर्म  चेतना  जागृत  करके, राष्ट्र सशक्त  बनाया  था।।

गुरुसत्ता  की  प्रखर  चेतना, शांतिकुंज  से  लायें   है।

महाकुम्भ  का  महाप्रसाद  ले, द्वार द्वार  पहुंचाए है।।

 

महाकुम्भ के पवित्र सुधा को, तुम्हें पिलाने आये हैं।

जाग उठो  हे  देव  शक्तियांतुम्हें  जगाने आयें है।।

अमृत पान करो हे देवों, संगठित हो शौर्य दिखावो।

देव संस्कृति की रक्षा को,कमर कसो अब आगे आओ।

युग निर्माण के  ज्ञानामृत की, धार पिलाने  आये हैं।

महाकुम्भ का महाप्रसाद ले, द्वार  द्वार  पहुंचाए  है।।

-उमेश यादव

बुधवार, 16 दिसंबर 2020

रक्त-दान, महादान

रक्त-दान ही महादान है

रक्त-दान ही महादान है, इससे बढ़कर कोई दान  नहीं।

चलो किसी का जान बचाएँ, इससे बड़ा कोई काम नहीं।।

 

ईश्वर ने जीवन देकर ही, हम सब पर उपकार किया है।

मानव तन अनमोल बनाया,यह अनुपम उपहार दिया है।।

इस काया के रहते फिर से, निकले किसी के प्राण नहीं।

रक्त-दान ही महादान है ,इससे बढ़कर कोई दान  नहीं।।

 

रक्त-दान करने से कोई, होता  है  कमजोर  नहीं।

स्वस्थ युवा ही रक्त-दान दें, बलहीन या कमजोर नहीं।।  

कमर कसें हम रक्त-दान को, बुजदिल बनना शान नहीं।

रक्त-दान ही महादान है, इससे बढ़कर कोई दान  नहीं।।

 

किसी व्यक्ति के बच जाने से, अगणित ख़ुशियाँ छाती है।

कितनों का घर बचता है गर,वक्त पे रक्त मिल पाती हैं।।  

खून बिना लाखों मर जाते, शोणित का कोई दाम नहीं।

रक्त-दान ही महादान है, इससे बढ़कर कोई दान  नहीं।।

 

बड़े से दिल से मुक्त ह्रदय, से आओ रक्त-दान करें हम।

जीवन दाता बनें किसी का, नव जीवन प्रदान करें हम।।

सौभाग्य मिला अनुपम तुमको है,इससे बड़ा कोई शान नहीं।

रक्त-दान ही महादान है, इससे बढ़कर कोई दान  नहीं।।

    -उमेश यादव,शांतिकुंज, हरिद्वार

मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

नया तराना


 





कल की बातें छोडो अब तो, 

आया है ये  नया जमाना। 

नये ज़माने में अब सबको, 

गाना है एक नया तराना।।


बाहर की प्रदूषित हवा से,

बचो हमेशा धुल धुवां से।

बिना मास्क के कहीं न जाना,

मुंह पर पट अब सदा लगाना।।


सह भोजन या पिकनिक पार्टी,

शादी व्याह हो बिन बाराती।

धूमधाम अब दूर की बातें,

नहीं पास से हो मुलाकातें।।


चाहे हो जितनी मजबूरी,

दो गज दुरी, सदा जरुरी।

सैनीटाईज़र या साबुन से,

बार बार है हाथ धुलाना।।


काम बिना बाहर न जाना, 

बिना काम के कहीं न छूना। 

गरम पानी ही हरदम पीना,

घर से बाहर कुछ न खाना।। 


हाथ मिलाया करें नहीं अब,

हाथ जोड़ प्रणाम करें सब।

अपनी संस्कृति सबसे न्यारी,

फिर इसको सर्वत्र फैलाना।।


प्राण शक्ति बढालो अब तो, 

योग ध्यान अपनालो अब तो ।

नया रूटीन अपनालो सब तो,

जीवन सरल बना लो अब तो।।


कोरोना असाध्य नहीं है,

कमजोरों से साध्य नहीं है।

छोटी छोटी बात अपनाना,

स्वस्थ रहो खूब मौज मनाना।।

            -उमेश यादव