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गुरुवार, 2 सितंबर 2021

हैं किसान भगवान हमारे

हैं किसान भगवान हमारे

हैं किसान भगवान हमारे, अन्नदाता कहलाते हैं।

मेहनत कर बंजर मिट्टी से, वे सोना उपजाते हैं।।

 

औरों के हित जीवन उनका,परहित प्राण लगाते है।

अथक परिश्रम से उनके हम,अपना भूख मिटाते हैं।।

स्वागत करें भूमिपुत्र का,वो सबके प्राण बचाते हैं।

हैं किसान भगवान हमारे, अन्नदाता कहलाते हैं।

 

हलधर के हल चलने से ही, पाँव हमारे चलते है।

प्रगति का पहिया भी उनके,श्रम  से आगे बढ़ते है।।

है विकास अधूरा जबतक,कृषक पीछे रह जाते है।

हैं किसान भगवान हमारे, अन्नदाता कहलाते हैं।।


उनका है अहसान जगत पर,उनसे अपना जीवन है।

है प्रत्यक्ष भगवान हमारे,हम उनके ही कारण है।।

आओ खेतिहर किसान के,महिमा की जय गाते हैं।

हैं किसान भगवान हमारे, अन्नदाता कहलाते हैं।।

उमेश यादव,शांतिकुंज,हरिद्वार