यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 30 अगस्त 2021

हे योगेश्वर श्रीकृष्ण

 *हे योगेश्वर श्रीकृष्ण*

जग के पालनहार कृष्ण,हे माधव हे घनश्याम  

हे योगेश्वर श्रीकृष्ण तुम्हें,है बारम्बार प्रणाम।।

 

प्रेम तृषित जगती को तूने,दिव्य प्रेम सिखाया

बंशी की सुमधुर तान से, पावन रास रचाया।।

हे राधारमण,हे मुरलीधर,हे गोपीनाथ भगवान।।

हे योगेश्वर श्रीकृष्ण तुम्हें,है बारम्बार प्रणाम।।

 

नवभारत की परिकल्पना,को साकार कराया

महाभारत बना देश को, सुदृढ़ राष्ट्र बनाया।।

हे रणछोड़,हे गिरधारी,हे द्वारिकाधीश गुणधाम

हे योगेश्वर श्रीकृष्ण तुम्हें,है बारम्बार प्रणाम।।    

 

कृषिप्रधान देश हमारा,हलधर ने सिखलाया

गोपालन से अर्थ व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया।।

हे गोपाल,हे यदुनंदन,हे देवकी माँ की संतान

हे योगेश्वर श्रीकृष्ण तुम्हें,है बारम्बार प्रणाम।।  

 

नमन तुम्हें है हे सर्वेश्वर,पुनः धरा पर आओ

प्रेम-युद्ध दोनों की जरुरत,जग को पुनः सिखाओ

गीता का उपदेश करो फिर, ज्ञानेश्वर सुखधाम

हे योगेश्वर श्रीकृष्ण तुम्हें,है बारम्बार प्रणाम।।

-उमेश यादव,शांतिकुंज,हरिद्वार    



मंगलवार, 24 अगस्त 2021

Raksha Bandhan Parv Pyar Ka | रक्षा बंधन पर्व प्यार का | Rakhi Geet | B...

रक्षाबंधन  पर्व  प्यार का, बंधवाना  राखी, तू आजा।
शुष्क ह्रदय हो रहे हमारे,प्रेमामृत से सरस बना जा।।
 
संग पले हैं,खेले हैं हम,लडे बहुत हैं,बहुत किये तंग।
साथ साथ में पढ़ लिखकर, हुए बड़े भी हैं तेरे संग।।
तुम्हे सताया जिन हाथों से,उसमें रक्षासूत्र सजा जा।
रक्षाबंधन पर्व  प्यार का, बंधवाना  राखी, तू आजा।।
 
अपने हिस्से की रोटी भी,सहज मुझे खिला जाती थी।
मुझको था माखन पसंद, तू मेरे लिए छुपा लाती थी।
हर संकट से तुम्ही लड़ी,अब हाथों से खीर खिला जा।
रक्षाबंधन पर्व  प्यार का बंधवाना  राखी, तू आजा।।
 
हर गलती पर डांटा तुमनेहुआ जो अच्छा खूब सराहा।
सही गलत समझाया मुझको,हद से ज्यादा तुमने चाहा।।
सत्पथ हमें चलाया दीदी,माथे को फिर तिलक लगा जा।
रक्षाबंधन  पर्व प्यार  का, बंधवाना  राखी,  तू आजा।।
 
घर को चुलबुल चिड़िया जैसी,खुशियों से चहकाती थी।
नंदन वन  के फूलों सा तू, घर आँगन  महकाती थी।।
तेरा ही घर है यह बहना,कुछ पल अपने घर भी आजा।
रक्षाबंधन  पर्व 
प्यार का, बंधवाना  राखी, तू आजा।।
-उमेश यादव  

रविवार, 22 अगस्त 2021

जनहित में लग जाए

जनहित में लग जाए जीवन,यह संकल्प निभाएं 

देश धर्म संस्कृति रक्षण को,  हम राखी बंधवाएं।।

 

स्नेह प्रेम का पावन बंधन,है रक्षा का आश्वासन

उपक्रमण ब्राह्मणत्व जगाता,अवसर है मनभावन।।

यज्ञोपवीत धारण कर जीवन, को यज्ञीय बनाएं

देश धर्म संस्कृति रक्षण को, हम राखी बंधवाएं।।

 

असुर तत्व जब भी जगती में,देवों से टकराया 

रक्षा के सूत्रों ने तब तब, देव विजय करवाया।।

हम अमूल्य संस्कृति सूत्रों से,जीवन धन्य बनाएं

देश धर्म संस्कृति रक्षण को, हम राखी बंधवाएं।।

 

गुरु शिष्य का पर्व है पावन,नव जीवन गढ़ता है

प्रायश्चित से मन प्राण चेतना,को सुगढ़ करता है।।

अवनि अवितम श्रावणी है यह,ज्ञान पर्व बन पाए

देश धर्म संस्कृति रक्षण को,  हम राखी बंधवाएं।।

 

विमल प्रेम भगिनी भ्राता का, है यह रक्षाबंधन

इक दूजे के लिए स्नेह मय,है यह पूर्ण समर्पण।।

नारी जाति के लिए स्नेह का,दृष्टिकोण अपनाएँ

देश धर्म संस्कृति रक्षण को,  हम राखी बंधवाएं।।

उमेश यादव 02 अगस्त 2021

बहना तू आजा

 

रक्षाबंधन  पर्व  प्यार का, बंधवाना  राखी, तू आजा।
शुष्क ह्रदय हो रहे हमारे,प्रेमामृत से सरस बना जा।।
 
संग पले हैं,खेले हैं हम,लडे बहुत हैं,बहुत किये तंग।
साथ साथ में पढ़ लिखकर, हुए बड़े भी हैं तेरे संग।।
तुम्हे सताया जिन हाथों से,उसमें रक्षासूत्र सजा जा।
रक्षाबंधन पर्व  प्यार का, बंधवाना  राखी, तू आजा।।
 
अपने हिस्से की रोटी भी,सहज मुझे खिला जाती थी।
मुझको था माखन पसंद, तू मेरे लिए छुपा लाती थी।
हर संकट से तुम्ही लड़ी,अब हाथों से खीर खिला जा।
रक्षाबंधन पर्व  प्यार का बंधवाना  राखी, तू आजा।।
 
हर गलती पर डांटा तुमने, हुआ जो अच्छा खूब सराहा।
सही गलत समझाया मुझको,हद से ज्यादा तुमने चाहा।।
सत्पथ सदा दिखाया दीदी,फिर माथे पर तिलक लगा जा।
रक्षाबंधन  पर्व प्यार  का, बंधवाना  राखी,  तू आजा।।
 
घर की चुलबुल चिड़िया भगिनी,खुशियों से चहकाती थी।
नंदनवन के फूलों सा तू, घर आँगन को  महकाती थी।।
तेरा ही घर है यह बहना,कुछ पल अपने घर भी आजा।
रक्षाबंधन  पर्व 
प्यार का, बंधवाना  राखी, तू आजा।।
-उमेश यादव  

मेरे हाथ सजाओ।

प्यारी बहना, राखी पर्व है,मेरे हाथ सजाओ।

खुश है तेरा भाई बहना,स्नेह सूत्र बंधवावो।।


सुअवसर आया है तुमसे, राखी है बंधवाना।

सरस बनेगा ह्रदय हमारा,विमल प्रेम है पाना।।

झंकृत करो भाव हमारे,सरगम आज बजाओ।

प्यारी बहना, राखी पर्व है,मेरे हाथ सजाओ।


जिन हाथों ने पीड़ा दी है,तुमको बहुत सताया।

लड़ते भिड़ते बड़े हुए संग,तुमको बहुत रुलाया।।

आज हाथ ये तरस रहा है,राखी अब बंधवावो।

प्यारी बहना, राखी पर्व है, मेरे हाथ सजाओ।।


घर में सुख-सौभाग्य तुम्हीं से,खुशियाँ बिखराती।

हर क्षण मुस्काती रहती हो,सबमें प्यार लुटाती।।

घर की प्यारी बगिया बहना,सुरभि से महकाओ।

प्यारी बहना, राखी पर्व है, मेरे हाथ सजाओ।।


राखी के धागे से महँगा,जग में कुछ न होता।

स्नेह प्रेम का बंधन है येकर्मयोग की गीता।।

मूल्य छुपा है मानवता का,इसका भान कराओ।

प्यारी बहनाराखी पर्व है, मेरे हाथ सजाओ।।

उमेश यादव


शनिवार, 14 अगस्त 2021

Aan Baan Aur Shan Hai Jhanda आन-बान और शान है झंडा

                                


आन-बान और शान है झंडा

आन - बान और शान है झंडा,भारत का सम्मान तिरंगा।

मरें मिटें इस देश कि खातिर,हम सबकी है जान तिरंगा।

 

केसरिया रंग इस झंडे का,त्याग और बलिदान सिखाता।

ताकत  और साहस हो सबमें, राष्ट्र धर्म को श्रेष्ठ बताता।।

शांति,प्रगति के हर विकास से,जन जन का कल्याण तिरंगा।

आन - बान और शान है झंडा,भारत का सम्मान तिरंगा।।

 

शुभ्र-धवल  हिमालय जैसा, सत्य, शांतिमय पूर्ण वतन हो।

धर्म-संस्कृति सबसे हो ऊपर,ह्रदय उदार और निश्छल मन हो।।

सादा जीवन, उच्च विचार से , नवयुग का निर्माण तिरंगा।

आन - बान और शान है झंडा,भारत का सम्मान तिरंगा।।

 

हरा रंग है माँ  धरती  पर, सूखी - सम्मुन्नत देश हमारा।

सब साधन से भरा रहे यह, स्वर्ग समान देश हो प्यारा।।

प्यार और सहकार हो सबमें, भारत का निर्माण तिरंगा।

आन - बान और शान है झंडा,भारत का सम्मान तिरंगा।।

 

नील  चक्र  कह  रहा  हमारा,  आगे   सतत   बढ़ेंगे ।

अटल  इरादे  लेकर  जग  में, नव  प्रतिमान  गढ़ेंगे।।

हम बदलेंगे  युग बदलेगा, हम सबका अरमान तिरंगा।

आन-बान और शान है झंडा,भारत का सम्मान तिरंगा।।

 

तीन  रंगों  का  प्यारा  झंडा,  अम्बर  में   फहरेगा।

हिन्द  देश  का  शान  ये  झंडा,  ऊँचा  सदा   रहेगा।।

तन मन धन न्योछावर तुमपर,हम सबकी पहचान तिरंगा।

आन - बान और शान है झंडा,भारत का सम्मान तिरंगा।।

-उमेश यादव


रविवार, 1 अगस्त 2021

मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

                                                                     मित्र


शुष्क   जीवन  को   बना  दे,  बासंती  मधुमास  है।

मित्र सुगन्धित पुष्प है,सुरभित सुखद उल्लास है।।

 

फिसलने  का  भय  नहीं, जब मित्र अपने साथ हो।

मुश्किलें  भी दूर  जाती,  हाथ  में  गर  हाथ  हो।।

मित्रता  के  संग  जीवन,  एक सुखद  एहसास  है।

मित्र सुगन्धित पुष्प है,सुरभित सुखद उल्लास है।।

 

मन - प्राण को झंकृत  करे, वो साज है, सितार है।

सुर- ताल का संगीत है, लय - तान का संसार है।।

मित्रता  है  छंद  जिसमें,  प्यार  है  विश्वास  है।

मित्र सुगन्धित पुष्प है,सुरभित सुखद उल्लास है।।

 

हर्ष  मय  आँगन बना  दें,  मित्रता की  छांव  से।

दुर्गुणों  को  दूर कर  दे, सद्गुणों  के   गाँव से ।

व्यक्त   कर पाए कि  जैसे, मूक  की मिठास है।

मित्र सुगन्धित पुष्प है,सुरभित सुखद उल्लास है।।

 

मित्र हैं  तो  हर  ख़ुशी  है,  ना कोई  निराश है।

दूर  रहते  पर  सदा,  लगता  हमारे  पास  है।।

पूर्ण  हो जाये  सदा जो, मित्र  ही  वो  आस है।

मित्र सुगन्धित पुष्प है,सुरभित सुखद उल्लास है।।

-उमेश यादव 6-3-21