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रविवार, 22 अगस्त 2021

मेरे हाथ सजाओ।

प्यारी बहना, राखी पर्व है,मेरे हाथ सजाओ।

खुश है तेरा भाई बहना,स्नेह सूत्र बंधवावो।।


सुअवसर आया है तुमसे, राखी है बंधवाना।

सरस बनेगा ह्रदय हमारा,विमल प्रेम है पाना।।

झंकृत करो भाव हमारे,सरगम आज बजाओ।

प्यारी बहना, राखी पर्व है,मेरे हाथ सजाओ।


जिन हाथों ने पीड़ा दी है,तुमको बहुत सताया।

लड़ते भिड़ते बड़े हुए संग,तुमको बहुत रुलाया।।

आज हाथ ये तरस रहा है,राखी अब बंधवावो।

प्यारी बहना, राखी पर्व है, मेरे हाथ सजाओ।।


घर में सुख-सौभाग्य तुम्हीं से,खुशियाँ बिखराती।

हर क्षण मुस्काती रहती हो,सबमें प्यार लुटाती।।

घर की प्यारी बगिया बहना,सुरभि से महकाओ।

प्यारी बहना, राखी पर्व है, मेरे हाथ सजाओ।।


राखी के धागे से महँगा,जग में कुछ न होता।

स्नेह प्रेम का बंधन है येकर्मयोग की गीता।।

मूल्य छुपा है मानवता का,इसका भान कराओ।

प्यारी बहनाराखी पर्व है, मेरे हाथ सजाओ।।

उमेश यादव


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