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सोमवार, 15 नवंबर 2021

बिरसा भगवान

 

*बिरसा भगवान*

बिरसा भगवान् गरीब का,निर्बल का हमराही था  

अंग्रेजों को धूल चटाया,भारत का वीर सिपाही था।।


उलीहातू खूंटी में पैदा,धरती का वह लाल हुआ

सुगना-कर्मी पूर्ति का घर-आँगन तब खुशहाल हुआ।।

करुण प्रेम से भरा ह्रदय था,जन सेवा ही प्यारा था

“धरती आबा” बने थे वे तो,नाम ही उनका न्यारा था।।

किया विरोध उनने अनीति का,और जो तानाशाही था

अंग्रेजों को धूल चटाया,भारत का वीर सिपाही था।।

 

पशु बलि और हिंसा को,मुंडा ने गलत बताया था

टोना जादू भुत प्रेत का,मन से वहम मिटाया था।।   

ईसाइयत स्वीकार नहीं, स्कूल से नाता तोड़ लिया

“साहेब साहेब एक टोपी” वैष्णव से नाता जोड़ लिया।।

सिंगबोंगा या सूर्योपासना,का वह परम पुजाही था

अंग्रेजों को धूल चटाया,भारत का वीर सिपाही था।।

 

फिरंगियों के अत्याचारों से जनवासी पस्त हुए थे

धर्म-संस्कृति पर आघातों से वनवासी त्रस्त हुए थे।।

भू लगान से बुरा हाल था,झारखण्ड घबराया था

सत्ता सुख में चूर फिरंगी,मद में अति बौराया था।।

अन्यायों से पीड़ित जनों का वह तो ही परछाही था

अंग्रेजों को धूल चटाया,भारत का वीर सिपाही था।।

 

जल जंगल जमीन की खातिर,बिरसा ने संग्राम किया

‘उलगुलान’ करके मुंडा ने,गोरों को लहू लुहान किया।।

तीर कमान भाले बरछे से,फिरंगी तब घबराया था

कैद किया बिरसा को उनने,विष देकर मरवाया था।।

हुआ शहीद देशभक्त था,जन जन का इलाही था

अंग्रेजों को धूल चटाया,भारत का वीर सिपाही था।।

-उमेश यादव, शांतिकुंज,हरिद्वार

 

रविवार, 7 नवंबर 2021

दीप से दीप जलाएँ

 https://youtu.be/TnwAhGBKIII

।। दीप से दीप जलाएँ ।।

अन्तस के अँधियारे को, आओ हम दूर भगायें।

दीप से  दीप जलाएँ, आओ  दीपावली  मनाएं।।

 

असुर नाश कर पुन: राम जब,अवधपुरी में आये थे।

नर - नारी आबाल वृध्द ने, घी के दीये जलाए थे।।

राम राज्य साकार हुआ था, सबने  खुशी  मनाये थे।

सम्पूर्ण राष्ट्र ही धन्य हुआ था,गीत खुशी के गाये थे।।

आओ मन के  असुरों को भी, फिर से मार भगायें।

दीप  से  दीप  जलाएँ,  आओ  दीपावली  मनाएं।।

 

नरकासूर  ने  अत्याचार से, ऐसा  नर्क मचाया था।

देव पूजित नारियों को  ही, उसने बन्दी बनाया था।।

सत्यभामा संग श्रीकृष्ण ने, उनको  मुक्त कराया  था।

नरकासूर का नर्क मिटा कर,दीपोत्सव मनवाया था।।

नारी  का  अपमान नहीं, अब उनको सबल  बनाएं।

दीप  से  दीप  जलाएँआओ  दीपावली  मनाएं।।

 

असुरों ने जब धरा धाम पर,भीषण अत्याचार किया।

माँ दुर्गा ने महाकाली बन, महिषासुर  संहार किया।।

तमसो मा सदगमय का फिर, भाव सर्वत्र जगाना है।     

हर कोना रोशन हो जाए, ऐसी ज्योति  जलाना   है।।

हम  बदलेंगे युग  बदलेगा, घर घर अलख जगाएं।

दीप  से  दीप  जलाएँ,  आओ  दीपावली  मनाएं।।

        -उमेश यादव,शांतिकुंज,हरिद्वार

गुरुवार, 4 नवंबर 2021

दीप से दीप जलाएं आओ दीपावली मनायें | दीपावली की मंगल शुभकामनाएँ ।

https://youtu.be/TnwAhGBKIII
                    

।। दीप से दीप जलाएँ ।।

अन्तस के अँधियारे को, आओ हम दूर भगायें।

दीप से  दीप जलाएँ, आओ  दीपावली  मनाएं।।

 

असुर नाश कर पुन: राम जब,अवधपुरी में आये थे।

नर - नारी आबाल वृध्द नेघी के दीये जलाए थे।।

राम राज्य साकार हुआ था, सबने  खुशी  मनाये थे।

सम्पूर्ण राष्ट्र ही धन्य हुआ था,गीत खुशी के गाये थे।।

आओ मन के  असुरों को भीफिर से मार भगायें।

दीप  से  दीप  जलाएँ आओ  दीपावली  मनाएं।।

 

नरकासूर  ने  अत्याचार सेऐसा  नर्क मचाया था।

देव पूजित नारियों को  हीउसने बन्दी बनाया था।।

सत्यभामा संग श्रीकृष्ण नेउनको  मुक्त कराया  था।

नरकासूर का नर्क मिटा कर,दीपोत्सव मनवाया था।।

नारी  का  अपमान नहींअब उनको सबल  बनाएं।

दीप  से  दीप  जलाएँ,  आओ  दीपावली  मनाएं।।

 

असुरों ने जब धरा धाम पर,भीषण अत्याचार किया।

माँ दुर्गा ने महाकाली बनमहिषासुर  संहार किया।।

तमसो मा सदगमय का फिरभाव सर्वत्र जगाना है।     

हर कोना रोशन हो जाएऐसी ज्योति  जलाना   है।।

हम  बदलेंगे युग  बदलेगाघर घर अलख जगाएं।

दीप  से  दीप  जलाएँ आओ  दीपावली  मनाएं।।

        -उमेश यादव,शांतिकुंज,हरिद्वार