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गुरुवार, 28 अक्तूबर 2010

विद्या क्या है.

मनुष्य के अच्छे संस्कारों को जागृत कर उसकी वृत्तियों को बढाकर ऊँचा उठा दे,वही विद्या है. 

शुक्रवार, 10 सितंबर 2010

सदुपयोग और दुरुपयोग

umesh shantikunj: सदुपयोग और दुरुपयोग: "अगर हमारे पास कोई चीज है तो उसका सदुपयोग और दुरुपयोग हमारे पास है. हम चाहें तो उसे use कर सकते हैं.चाहें तो उसका misuse कर सकते है. हमारा स..."

सदुपयोग और दुरुपयोग

अगर हमारे पास कोई चीज है तो उसका सदुपयोग और दुरुपयोग हमारे पास है. हम चाहें तो उसे use कर सकते हैं.चाहें तो उसका  misuse कर सकते है. हमारा समय(Time),हमारा धन(Money),हमारी प्रतिभा(Talent), हमारे साधन(Resources),हमारे विचार(Thinking),हमारा शरीर(Body) सभी पार यही नियम लागु होते हैं. अतः हमें मिले हुए अथवा खुद के द्वारा अर्जित किये हुए सभी चीजों का सोच विचार कर उपयोग करना चाहिए.

बुधवार, 8 सितंबर 2010

मन रे अवगुण दूर भगा.

मन रे अवगुण दूर भगा. 

मन के साधे सब सध जाये,
मुक्ति, मोक्ष,स्वर्ग मिल जाये.
निर्मल मन तो काया निर्मल,
दाग ना मन तू लगा..
मन रे अवगुण दूर भगा. 

मन कि शक्ति बड़ी अजब है.
करतब मन के बड़े गज़ब है.
मनमानी तू छोड़ रे मनवा,
खुद को श्रेष्ठ बना...
मन रे अवगुण दूर भगा. 

मन ही ईश्वर, मन ही पूजा,
मन के आगे श्रेष्ठ ना दूजा,
मन के मन में अगर प्रेम है,
जगत पति बन जा...
मन रे अवगुण दूर भगा. 
           उमेश यादव, शांतिकुंज-हरिद्वार 
            umeshpdyadav@gmail.com

समय बड़ा बलवान

समय बड़ा बलवान
समय बड़ा बलवान भाइयों, समय बड़ा बलवान.
समय का साथी जो बन पाये, बन जाये धनवान.

                                       समय बड़ा बलवान----

बीता समय कभी नहीं आता, प्रलय भले आ जाये.
बीता कल वर्तमान न होता,सूर्य पश्चिम उग जाये.
अतः समय को समझ ले बन्दे, बन जा श्रेष्ठ महान.
                                           समय बड़ा बलवान ---

मूल्य समय का कृषक से पूछो, फसल सूख जब जाती .
आते  यात्री  तनिक  देर  से, रेल  चली  जब  जाती .
समय से कदम मिला ले बन्दे, बन जा सफल सुजान .
                                             समय बड़ा बलवान ...

सफल छात्र होते जीवन में, समय ना व्यर्थ गंवाते .
मानवता की सेवा कर वे, स्वयं को धन्य बनाते .
समय ही जीवन समझ जो पढ़ते,बन जाते यशवान.
                                        समय बड़ा बलवान...

समय  एक  ऐसी  गाड़ी  है, चढो  लक्ष्य  तक पहुँचो.
बिना रुके आगे बढ जाओ , सब मंजिल तक पहुँचो.
युगों  युगों  के  बाद  न आता, अब का समय महान.
                                            समय बड़ा बलवान

बीता  बचपन  फिर  ना आता, जवाँ वृद्ध हो जाते.
मौत  के  बाद  हमही  ना होते, चर्चा भर हो जाते.
अतः समय के साथ चलो तुम, कर जा कर्म महान.
                                        समय बड़ा बलवान...

यही समय है कुछ करने का,कुछ कर के दिखलायें.
जीवन  का  एक  पल  भी  यूँ ही, हम ना व्यर्थ गँवाएँ.
समय   है    प्रत्यक्ष    देवता ,  लें   उनसे   वरदान.
                                         समय बड़ा बलवान...

समय को जिसने ठीक पहचाना,अदभुत कर दिखलाया.
समय  से  आगे  बढ़कर  उसने, जग   को  श्रेष्ठ बनाया.
समय   की  पूजा  जो   कर  पाया,  बन  बैठा  भगवान.
समय   बड़ा   बलवान  भाइयों,  समय  बड़ा  बलवान.
                         ----उमेश यादव, शांतिकुंज,हरिद्वार.

शनिवार, 4 सितंबर 2010

समय बड़ा बलवान

समय बड़ा बलवान
समय बड़ा बलवान भाइयों, समय बड़ा बलवान.
समय का साथी जो बन पाये, बन जाये धनवान.

                                       समय बड़ा बलवान----

बीता समय कभी नहीं आता, प्रलय भले आ जाये.
बीता कल वर्तमान न होता,सूर्य पश्चिम उग जाये.
अतः समय को समझ ले बन्दे, बन जा श्रेष्ठ महान.
                                           समय बड़ा बलवान ---

मूल्य समय का कृषक से पूछो, फसल सूख जब जाती .
आते यात्री तनिक देर से, रेल चली जब जाती .
समय से कदम मिला ले बन्दे, बन जा सफल सुजान .
                                            समय बड़ा बलवान ...

सफल छात्र होते जीवन में, समय ना व्यर्थ गंवाते .
मानवता की सेवा कर वे, स्वयं को धन्य बनाते .
समय ही जीवन समझ जो पढ़ते, बन जाते यशवान.
                                        समय बड़ा बलवान...

समय एक ऐसी गाड़ी है,चढो लक्ष्य तक पहुँचो.
बिना रुके आगे बढ जाओ , सब मंजिल तक पहुँचो.
युगों युगों के बाद न आता, अब का समय महान.
                                    समय बड़ा बलवान

बीता बचपन फिर ना आता, जवाँ वृद्ध हो जाते.
मौत के बाद हमही ना होते, चर्चा भर हो जाते.
अतः समय के साथ चलो तुम, कर जा कर्म महान.
                                        समय बड़ा बलवान

यही समय है कुछ करने का, कुछ कर के दिखलायें.
जीवन का एक पल भी यूँ ही, हम ना व्यर्थ गँवाएँ.
समय है प्रत्यक्ष देवता, लें उनसे वरदान.
                                        समय बड़ा बलवान

जिसने समय को ठीक पहचाना, अदभुत कर दिखलाया.
समय से आगे बढ़कर उसने, जग को श्रेष्ठ बनाया.
समय की पूजा जो कर पाया, बन बैठा भगवान.
समय बड़ा बलवान भाइयों, समय बड़ा बलवान.
----उमेश यादव, शांतिकुंज,हरिद्वार.

शुक्रवार, 3 सितंबर 2010

समय बड़ा बलवान

समय बड़ा बलवान
समय बड़ा बलवान भाइयों, समय बड़ा बलवान.
समय का साथी जो बन पाये, बन जाये धनवान.
समय बड़ा बलवान----

बीता समय कभी नहीं आता, प्रलय भले आ जाये.
बीता कल वर्तमान न होता,सूर्य पश्चिम उग जाये.
अतः समय को समझ ले बन्दे, बन जा श्रेष्ठ महान.
समय बड़ा बलवान ---

मूल्य समय का कृषक से पूछो, फसल सूख जब जाती .
आते यात्री तनिक देर से, रेल चली जब जाती .
समय से कदम मिला ले बन्दे, बन जा सफल सुजान .
समय बड़ा बलवान ...

सफल छात्र होते जीवन में, समय ना व्यर्थ गंवाते .
मानवता की सेवा कर वे, स्वयं को धन्य बनाते .
समय ही जीवन समझ जो पढ़ते, बन जाते यशवान.
समय बड़ा बलवान...

समय एक ऐसी गाड़ी है,चढो लक्ष्य तक पहुँचो.
बिना रुके आगे बढ जाओ , सब मंजिल तक पहुँचो.
युगों युगों के बाद न आता, अब का समय महान.
समय बड़ा बलवान

बीता बचपन फिर ना आता, जवाँ वृद्ध हो जाते.
मौत के बाद हमही ना होते, चर्चा भर हो जाते.
अतः समय के साथ चलो तुम, कर जा कर्म महान.
समय बड़ा बलवान

यही समय है कुछ करने का, कुछ कर के दिखलायें.
जीवन का एक पल भी यूँ ही, हम ना व्यर्थ गँवाएँ.
समय है प्रत्यक्ष देवता, लें उनसे वरदान.
समय बड़ा बलवान

जिसने समय को ठीक पहचाना, अदभुत कर दिखलाया.
समय से आगे बढ़कर उसने, जग को श्रेष्ठ बनाया.
समय की पूजा जो कर पाया, बन बैठा भगवान.
समय बड़ा बलवान भाइयों, समय बड़ा बलवान.
----उमेश यादव, शांतिकुंज,हरिद्वार.

बुधवार, 18 अगस्त 2010

आजादी क्या है?१५ अगस्त २०१०

आजादी क्या है?

आजादी एक जश्न है.
ख़ुशी है,उल्लास है,
एक सुखद एहसास है.
पुराना इतिहास है.
पर बहुत ही खास है.
फिर भी एक प्रश्न है?
आजादी क्या जश्न है?

बेड़ियाँ कट गयी
हथकड़ियाँ टूट गयीं
कारागार रिक्त हुए
कैदी सब मुक्त हुए
अन्याय थम गया.
अत्याचार रुक गया.
धरित्री पवित्र हुई
प्राणी सब तृप्त हुए
आजादी के जश्न में
भारत में जश्न हुआ
पर तभी एक प्रश्न हुआ
आजादी क्या जश्न है?

खेतों में, खलिहानों में.
नीले आसमानों में
बागों में, बगीचों में.
गलियों और गलीचों में,
सब जगह बस एक बात थी,
आजादी का परचम
स्वतंत्रता का प्रतीक,
तिरंगा लहराया
लाल किला पर फहराया
नीला रंग गहराया
उन्मुक्त गगन में
दूर दूर तक
पंछी सब चहचहाये
चेहरे पर आशा की
प्रसन्नता की, आस्था की,
विश्वास की, उल्लास की
झलक नजर आयी.
मुश्कुराए चेहरे पर भी
एक प्रश्न है .
आजादी क्या जश्न है?

लगा की अब
हम स्वतंत्र हो गए
भय से, भूख से,
आतंक से, दुःख से,
भ्रस्टाचार और शोषण से,
बच्चों के कुपोषण से,
हिंसा से,नफरत से,
अशिक्षा से, कुरीति से,
देवियों की दुर्गति से,
दुष्टों की प्रगति से,
हम स्वतंत्र हो गए.
पर यह क्या ?
वास्तव में हमें
जश्ने आजादी मिली.
पर यह एक भ्रम था.
एक प्रश्न था.
आजादी क्या जश्न है?

यह जश्न हमें कैसे मिली.
क्या हमने सोचा कभी.
मांगो की सिंदूर,
बहनों के भाई ,
माओं की कोख,
पिताओं के प्यार,
दोस्तों के यार,
उन शहीदों के,
यातनाओं,
प्रताडनाओं के बाद की
उनके लाल लहू से,
मिली यह आजादी,
हमारे लिए एक
बहुत ही शानदार
धमाकेदार
बहुप्रतीक्षित,
आज तक का सबसे बड़ा जश्न,
जश्ने आजादी थी,
पर एक प्रश्न है?
आजादी क्या जश्न है?

जश्न है पर तभी,
जब हम इन शहीदों के
शहीदी के कारणों को
क्या चाहते थे वो,
उनका बलिदान क्यों था,
क्यों वे मर मिटे
इस देश के खातिर
परवाह नहीं की
घर की परिवार की
नौकरी और संसार की
आखिर क्यों ?
एक प्रश्न है?
आजादी क्या जश्न है?

उनने अपना सब कुछ खोया.
और हमें आजादी दिया.
किसलिए?
भय और भूख वाला,
आतंक और दुःख वाला,
भ्रस्टाचार और शोषण वाला,
बच्चों के कुपोषण वाला,
हिंसा वाला,नफरत वाला,
अशिक्षा और कुरीति वाला,
देवियों की दुर्गति वाला,
दुष्टों की प्रगति वाला,
धर्म जाति में बटा हुआ
दुश्मनों से डरा हुआ,
एक निरीह राष्ट्र ,
एक असहाय राष्ट्र,
एक दिन और
अति दुर्बल राष्ट्र,के लिए
उनका बलिदान नहीं ,
फिर बलिदान क्यों?
एक प्रश्न है?
आजादी क्या जश्न है?

उनने फिरंगियों को भी.
अपने दमखम पर,
सात समुन्दर पार किया था ,
बड़े बड़े चक्रव्यूह तोड़कर
आजादी को हमें दिया था.
पर क्या हम उनको
आश्वस्त कर सकते है ?
उनको क्या यह कह सकते है
कि
आपके सपनों का भारत है यह.
आपके बलिदान के पूर्व कि
आपकी अंतिम इच्छा है यह .
भय से, भूख से,
आतंक से, दुःख से,
भ्रस्टाचार और शोषण से,
बच्चों के कुपोषण से,
हिंसा से,नफरत से,
अशिक्षा से, कुरीति से,
देवियों की दुर्गति से,
दुष्टों की प्रगति से,
स्वतंत्र भारत है यह.
मुक्त भारत है यह.
अगर नहीं तो,
एक प्रश्न है?
आजादी क्या जश्न है?

आओ आज संकल्प करें हम.
उन शहीदों के सपनों का भारत
मिलकर इसे बनायेंगे.
अब इस भारत भू पर उनके
संकल्प ही बस जी पाएंगे.
फिर वह प्रश्न ?
प्रश्न ना होगा
उसका समुचित उत्तर होगा
मिलजुल कर इस देश के खातिर
मर मिट जाने कि
कसमे हम सब खायेंगे.
जश्ने आजादी तभी मनेगा
जब भारत को श्रेष्ट बनायेंगे .

आनंद विवेक के thought पर आधारित

शनिवार, 2 जनवरी 2010

नव वर्ष २०१० की शुभकामना,

नव वर्ष के इस महापर्व को, आओ सब मिल साथ मनाएं. 
अब समाज के शेष तिमिर को, आओ सब मिल दूर भगाएं. 

 नए साल में नए लक्ष्य ले, नए जोश से काम करें हम. 
 समय आ गया परिवर्तन का, तनिक नहीं विश्राम करें हम. 
 नयी लगन और श्रम, निष्ठा से, आओ नया समाज बनायें. 
 नव वर्ष के इस महापर्व ......... 

नयी सुबह है, नयी उमंग है, नया प्राण संचार करें हम. 
नयी सभ्यता, नया देश हो, अपना ह्रदय विस्तार करें हम. 
नए विश्व के नवनिर्माण के नए गीत सब मिलकर गायें. 
 नव वर्ष के इस महापर्व ......... 

 सभी साक्षर हों, ज्ञानवान हों, सबमें हम अपने को देखें. 
 सभी सुखी हों, सभी स्वस्थ हों, सभी नए सपनों को देखें. 
 परहित सबसे बड़ा धर्मं हो, पर पीड़ा में साथ निभाएं. 
 नव वर्ष के इस महापर्व ......... 

सत्पथगामी युवा हमारे, नयी क्रांति जग में लाना है. 
भय का भूख का नाम न हो अब, विश्व परिवार बनाना है. 
अमन चैन हो स्वर्ग सा जग में, मिलजुल कर साकार बनायें. 
नव वर्ष के इस महापर्व ......... 

 भ्रष्टाचार से मुक्त समाज हो, अब आतंक का नाम न होगा. 
 नशा कुरीति और अत्याचार का, नए समाज से काम न होगा. 
 नयी दिशा हो, नयी फिजा हो, युग निर्माण का शंख बजाएं. 
 नव वर्ष के इस महापर्व को आओ सब मिल साथ मनाएं. 
 ----उमेश यादव, शांतिकुंज, हरिद्वार.

२०१० शुभकामना

नव वर्ष के इस महापर्व को, आओ सब मिल साथ मनाएं. 
अब समाज के शेष तिमिर को, आओ सब मिल दूर भगाएं. 

 नए साल में नए लक्ष्य ले, नए जोश से काम करें हम. 
 समय आ गया परिवर्तन का, तनिक नहीं विश्राम करें हम. 
 नयी लगन और श्रम, निष्ठा से, आओ नया समाज बनायें. 
 नव वर्ष के इस महापर्व ......... 

नयी सुबह है, नयी उमंग है, नया प्राण संचार करें हम. 
नयी सभ्यता, नया देश हो, अपना ह्रदय विस्तार करें हम. 
नए विश्व के नवनिर्माण के नए गीत सब मिलकर गायें. 
 नव वर्ष के इस महापर्व ......... 

 सभी साक्षर हों, ज्ञानवान हों, सबमें हम अपने को देखें. 
 सभी सुखी हों, सभी स्वस्थ हों, सभी नए सपनों को देखें. 
 परहित सबसे बड़ा धर्मं हो, पर पीड़ा में साथ निभाएं. 
 नव वर्ष के इस महापर्व ......... 

सत्पथगामी युवा हमारे, नयी क्रांति जग में लाना है. 
भय का भूख का नाम न हो अब, विश्व परिवार बनाना है. 
अमन चैन हो स्वर्ग सा जग में, मिलजुल कर साकार बनायें. 
नव वर्ष के इस महापर्व ......... 

 भ्रष्टाचार से मुक्त समाज हो, अब आतंक का नाम न होगा. 
 नशा कुरीति और अत्याचार का, नए समाज से काम न होगा. 
 नयी दिशा हो, नयी फिजा हो, युग निर्माण का शंख बजाएं. 
 नव वर्ष के इस महापर्व को आओ सब मिल साथ मनाएं. 
 ----उमेश यादव, शांतिकुंज, हरिद्वार.