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रविवार, 19 दिसंबर 2021

मैं एक जागृत नारी हूँ।

 

असंभव को संभव करने मैं,धर्मराज से लड़ सकती हूँ

रणचंडी दुर्गा बनकर मैं, महिषासुर का बध करती हूँ।।

पड़े जरुरत अगर राष्ट्र को, लक्ष्मीबाई बन सकती हूँ

नारी हूँ पर रक्तबीजों का,रक्तपान भी कर सकती हूँ।।

जान हथेली पर लेकर भी, सृष्टि की रचना करती हूँ

यदि हमारी जरुरत हो तो,अहर्निश सेवा में लगती हूँ।।

सदा सर्वदा पर हित  सोचूं, परहित में ही मरती हूँ

वार तिथि समय ना देखूं, सेवा निशदिन करती हूँ।।

लक्ष्यपथ से न कभी भटकती,मैं एक जागृत नारी हूँ

समर्पित हूँ मैं अर्पित भी हूँ,मैं नारी हूँ, मैं नारी हूँ।।

-उमेश यादव

महाशक्ति अवतरित हुई हैं


महाशक्ति अवतरित हुई हैं

असुरों ने जब जब धरती पर,अत्याचार फैलाया है। 

महाशक्ति अवतरित हुई हैं,जग को मुक्त कराया है।। 


धरा धाम जब त्रसित हुई थी महिषासुर के पापों से। 

देवलोक भी कांपा था तब,असुर महिष के  तापों से।।

माँ दुर्गा बन महिषासुर का,भीषण अंत कराया था ।

महाकाली बन रक्तबीजों, का अस्तित्व मिटाया था।। 

शांति स्थापित किया जगत में,देवविजय करवाया है। 

महाशक्ति अवतरित हुई हैं,जग को मुक्त कराया है।। 


दुष्ट दशानन के असुरों ने, धर्म-यज्ञ को  नष्ट किया था।

ऋषि मुनियों साधू संतों को,निशाचरों ने कष्ट दिया था।।

ऋषियों के ही अंश रक्त से, माँ सीता अवतरित हुई थी।

असुरों का कुल नाश किया था,धर्म कार्य संचरित हुई थी।।

रामराज्य फैलाया जग में,  धर्म राज्य विकसाया है। 

महाशक्ति अवतरित हुई हैं, जग को मुक्त कराया है।। 


झाँसी के रानी ने भी जब,कठोर कृपाण उठाया था।

छुड़ा दिए छक्के दुश्मन के, भीषण युद्ध कराया था।।

रण चंडी बन कूद पड़ी थी, अंग्रेजों से टकराई थी।

रण कौशल से महासमर में,उसने विजय दिलाई थी।।

नारी अबला कभी न होती, यह विश्वास  जगाया है। 

महाशक्ति अवतरित हुई हैं, जग को मुक्त कराया है।।

 

आस्था संकट ने अब फिर से, भूपर कहर मचाया है।

श्रद्धा और विश्वास डिगाने,मिथ्या भ्रम फैलाया है।।

आडम्बर से घिरे  समाज को, रुढियों में अटकाया है। 

जाति धर्म और उंच नीच में, मानव को भटकाया है।। 

विषम समय में जीजी ने,सबको सन्मार्ग दिखाया है।

महाशक्ति अवतरित हुई हैं, जग को मुक्त कराया है।। 


नवयुग के निर्माण के लिए,विचार क्रांति उद्घोष किया।

अज्ञानता में सुप्त मनुज को,ज्ञान क्रांति कर जोश दिया।।

आधी जनशक्ति को गुरु ने, शक्तिपात कर श्रेष्ठ बनाया।  

शिक्षा और संस्कार दे माँ ने,हम पुत्रों को ज्येष्ठ बनाया।।

नारी जाग्रति अभियानों को,जीजी माँ ने विकसाया है। 

महाशक्ति अवतरित हुई हैं, जग को मुक्त कराया है ।।


‘हम बदलेंगे- युग बदलेगा’ युग निर्माण का नारा है। 

श्रद्धेय द्वय का संरक्षण में,यह शुभ कार्य हमारा है।। 

जुट जाएँ हम सब मिल करके, युग ने हमें पुकारा है।

महा शक्ति के साथ चलेंगे, दृढ  संकल्प हमारा है।। 

सृजन साधकों आगे आओ,जीजी ने हमें बुलाया है।

महाशक्ति अवतरित हुई हैं, जग को मुक्त कराया है।। 

-उमेश यादव

जन्मदिवस sarita



जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

गिरी शिखरों से निकली सरिता, शांतिकुंज में वास करे। 

घर परिवार समाज राष्ट्र में,सुरभित सुखद सुवास भरे।।


बचपन बिता अल्हड़पन में,है मस्ती में जीवन जिया। 

बड़े वेग से, बाढ़ बवंडर,उतार चढ़ाव भी सहन किया।।

किया समर्पण घर परिकर को,नद ने नव उत्साह भरे।

गिरी शिखरों से निकली सरिता, हरिद्वार में वास करे।। 

 

हरिद्वार आकर सलिला ने, सेवा का संकल्प लिया।

और बना जैसे भी तुमने, मानव का उपकार किया।। 

बुद्धि विवेक से आनंदित कर,मन में एक मिठास भरे।

गिरी शिखरों से निकली सरिता, हरिद्वार में वास करे।। 


दीप्ति हुई तटिनी की ऐसी, आनंदमयी परिवार हुआ।

गुरुकृपा सरि के तप से,पुण्यनगरी तक विस्तार हुआ।।  

तेरे अखंड तप के कारण हम, सबमें एक विश्वास भरे। 

गिरी शिखरों से निकली सरिता, हरिद्वार में वास करे।। 

-उमेश यादव

मुझे हमारी माँ मिल गयी



 मुझे हमारी माँ मिल गयी

मुझे हमारी माँ मिल गयी,

एक नयी जहाँ मिल गयी।


एक जन्म देने वाली है,

जिसने हमको पाला पोसा।

दुःख कष्ट सब झेले उसने, 

कभी नहीं किसी को कोसा।। 

पर मुझको आनंद दिलाने, 

ये तो अपनी माँ मिल गयी।

मुझे हमारी माँ मिल गयी।।


तेरे ही आशीष से माते, 

आनंदमय जीवन है अपना।

तेरे कृपा की छांव में ही हम, 

बुनेंगे जीवन का सपना।। 

माँ तेरे कारण ही तो, 

मुझको नयी समां मिल गयी।

मुझे हमारी माँ मिल गयी।।


आज आपका जन्मदिवस है, 

पर आशीष मुझे चाहिए।

अपना घर परिवार सुखी हो, 

वह बखसीस मुझे चाहिए।। 

आप के आशीष से हम सबको, 

नयी एक आसियां मिल गयी।

मुझे हमारी माँ मिल गयी।।

-दीप्ति आनंद यादव

sarita को anand की बधाई

 


*जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं*

मुझे जन्मने वाली माँ का,जन्मदिवस है आया

क्या उपहार तुम्हें दू माता,तूने ही मुझे बनाया।।

 

बड़े जतन से बड़े प्यार से,बड़े कष्ट से पाला था

जब भी साहस खोया माते, तूने हमें संभाला था।।

बड़ा हुआ पर तेरा ही हूँ, तूने सन्मार्ग दिखाया

मुझे जन्मने वाली माँ का,जन्मदिवस है आया।।

             

सदय ह्रदय ऐसा की मेरे भी भाव वही होते हैं

दुखियारों को देखूं तो माँ तेरे जैसा ही रोते हैं।।

तेरे रक्त से साँसे मेरी, तुझमें है प्राण समाया

क्या उपहार तुम्हें दू माता,तूने ही मुझे बनाया।।

-आनंद विवेक यादव

मंगलवार, 14 दिसंबर 2021

माँ मिल गयी है

 


गमपरम श्रधेया जीजी के जन्मदिवस पर

“माँ मिल गयी है”

 

हमें तेरे स्वरूप में दीदी,माँ मिल गयी है।

जब तुझसे जुड़े, आसमां मिल गयी है।।

 

करुणा ममता प्यार दया सब, तुमसे ही सीख रहे हैं।

दोष, दुर्गुणों, भ्रम भय से, रण भी हम जीत रहे हैं।।

तेरे स्वरुप में माँ-गुरु की,कृपा मिल गयी है।

हमें तेरे स्वरूप में दीदी,माँ मिल गयी है।।

 

प्यार दिया ऐसा की हमने,रुढियों को तोड़ दिया है।

संकीर्णता को छोड़ा हमने,पथ अपना मोड़ लिया है।।

तेरे स्नेह प्यार से नव,जहाँ मिल गयी  है।

हमें तेरे स्वरूप में दीदी,माँ मिल गयी है।।

 

एक पुरानी दुनिया छोड़ी,नए मार्ग पर कदम बढाया।

उसी राह पर कदम बढ़ाया,जैसा तुमने राह दिखाया।।

तेरा प्रेम पाकर अद्भुत, समां मिल गयी है।

हमें तेरे स्वरूप में दीदी,माँ मिल गयी है।।

 

घर परिवार रिश्ते नातों में,अब तुमको जोड़ लिया है।

सारा जहाँ अपना घर है, जब खुद को जोड़ लिया है।।

प्रेम स्नेह वात्सल्य भाव की,अम्मा मिल गयी है।

हमें तेरे स्वरूप में दीदी, माँ मिल गयी है।।

-उमेश यादव  

बुधवार, 8 दिसंबर 2021

जन्मदिवस

 जन्मदिवस

जन्मदिवस पर आज सभी, देते हैं तुम्हें बधाई।

जीवन का हर क्षण हो सुखमय,हो हर पल सुखदाई।।

बधाई बधाई, हो बधाई बधाई।। 


रहो सदा आनंदित होकर,मंजिल अपनी पाओ।

मुस्कानों की कलियों को तुम,पुष्पों सा विहंसाओ।।

सुरभित रहे दशों दिशाएं,हो ना कोई कठिनाई।

जन्मदिवस पर आज सभी, देते हैं तुम्हें बधाई।।


मंगलमय शुभ संकल्पों से, भरा हो तेरा जीवन।

शुभ कर्मों के पुष्प खिले हों,हर्ष भरा हो चितवन।।

सुयश कीर्ति विस्तृत हो जैसे, संध्या की परछाई। 

जन्मदिवस पर आज सभी, देते हैं तुम्हें बधाई।।


हो चिरंजीव,हो शतंजीव, हो परहितमय जीवन। 

परिजन सखा सुखी रहें,हो खुशियों का आँगन।। 

मातु पिता गुरुजन तेरे हों, आजीवन वरदाई।

जन्मदिवस पर आज सभी,देते हैं तुम्हें बधाई।।


सद्गुण की सुरभि से महके,जीवन का ये उपवन।

हो महानता ऐसा जैसे,चमके रवि का रश्मि कण।।

अखिल विश्व का कण कण हो, तेरे हित सुखदाई। 

जन्मदिवस पर आज सभी, देते हैं तुम्हें बधाई।।

-उमेश यादव – 8Dec2021

सोमवार, 6 दिसंबर 2021

दशावतार –मानव विकास की कथा



*दशावतार –मानव विकास की कथा*

जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया| 

सृष्टि सृजन में दशावतार ले,यह अद्भुत संसार बसाया॥

                      तुमने सुन्दर जगत बसाया॥

 

दशावतार मानव विकास के, अनुक्रम को बतलाता है|

घटघट वासी ईश्वर का अनुपम,रूप हमें दिखलाता है॥

हर कथा कहानी ग्रंथों में है,अति अद्भुत ज्ञान समाया|

जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥0॥

 

महाप्रलय पश्चात सिन्धु था, जलीय जीव विकसाए थे|

सतत विकास के क्रम में भगवन,मीन रूप धर आये थे॥

वेद ज्ञान संचित रख प्रभु ने,नवल सृजन का शंख बजाया|

जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥1 

 

विकसित हुए उभयचर प्राणी, जल-थल में जीव विराजे|

उभय स्थान पर रहने वाले, जीव जंतु जगत में साजे॥

कछुए का तुमने रूप धरकर,  धरती का भार उठाया|

जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥2

 

जल जमीन अलग होने तक,पंक-कीच में सना हुआ था|

शुकर समान जीव थे भूपर, दलदल गारा बना हुआ था॥

वराह रूप लेकर श्री हरि ने, तब दांतों से इसे जमाया|

जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया ॥3

 

वन सम्पदा बढ़ी धरती पर,वन का जीव फिर आया था|

प्रगति के क्रम में धरती पर,नर-पशु सा प्राणी आया था॥

मानव विकास के क्रम में प्रभु ने नर-सिंह रूप दिखाया|

जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया ॥4


वनमानुष सा लघु मानव का, धरती पर आवास हुआ|

इस कालखंड में ही मानव का,लघु से पूर्ण विकास हुआ॥

वामन रूप से विकसित मानव बन, पूर्ण धरा पर छाया|

जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥5

 

पाषाण युगीन मानव था तब, आखेट किया करता था|

परशु कुठार पत्थर से अपना, रक्षण पोषण करता था॥

परशुराम अवतार ने सबको, उस युग का भान कराया|

जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥6॥


बर्बर था मानव जाति तब, दैत्यों ने त्राहि मचाया था  

मानव थोडा सभ्य हुआ था, धनुष बाण अपनाया था॥

नीति नियम मर्यादा का युग, श्रीराम राज्य में आया|

जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥7॥


चक्र मुरली हल हाथ लिए प्रभु, कृष्ण रूप में आये|

ज्ञान कर्म और भक्ति योग का, गीता ज्ञान सुनाये॥

कृषि और गोपालन से हमने, प्रगति का कदम बढ़ाया|

जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥8॥


करुणा ममता धर्म अहिंसा, का व्यापक विस्तार हुआ|

मनुष्यों में  बुद्धि बढ़ी थी,मानव धर्म साकार हुआ॥

बुद्ध रूप में करुणावतार ने, विज्ञ मानव विकसाया|

जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥9॥

 

प्रगति के पहिये में पंख लगे,चन्द्र तारक तक हम पहुंचे|

अनु में, विभु में,दिग दिगंत तक,नभ से भी हो गए ऊँचे॥

कल्कि-प्रज्ञा अवतार प्रभु ने,मन-चिंतन को श्रेष्ठ बनाया|

जय जगदीश्वर,परम पिता प्रभु, तुमने है संसार बनाया॥10॥

-उमेश यादव, शांतिकुंज, हरिद्वार

गुरु बिन ज्ञान नहीं है

 

गुरु बिन ज्ञान नहीं है

ज्ञान बिना जीवन अंधियारा,गुरु बिन ज्ञान नहीं है।

गुरु जहाज अनंत सागर में,बिनु गुरु स्थान नहीं है।।

 

अनहद नाद ध्वनित हो पाता, गुरु मृदंग जब बाजे।

ज्ञान भक्ति जागृत हो जाता, गुरु कृपा जब जागे।।

गुरु ही ईश्वर,गुरु परमेश्वर, गुरु बिन मान नहीं है।

ज्ञान बिना जीवन अंधियारा,गुरु बिन ज्ञान नहीं है ।।

 

गुरु तो ज्ञान प्रवाह सतत है,भव से पार कराते हैं।

जीव जगत माया बंधन को,काट मुक्ति दे जाते हैं।।

भरे रंग जीवन में, मन में,बिन गुरु मान नहीं है।

ज्ञान बिना जीवन अंधियारा,गुरु बिन ज्ञान नहीं है।।

 

जीवन पथ चलना सिखलाते,राह नयी बनवाते हैं।

कर्म अकर्म का भेद बताते, सत्पथ हमें चलाते हैं।।

समस्यायों का हल भी तो बिन गुरु आसान नहीं है।

ज्ञान बिना जीवन अंधियारा,गुरु बिन ज्ञान नहीं है।।

उमेश यादव

 

 

 

रानी लक्ष्मी बाई

 


*रानी लक्ष्मी बाई*

मोरोपंत और भागीरथी की, मणिकर्णिका दुलारी थी

वाराणसी की वीर छबीली, मनु  दुर्गा अवतारी थी।।   

 

बाजीराव के राज सभा में, बचपन उनका बीता था

शास्त्रों की ज्ञाता थीं उनको, प्रिय रामायण गीता था।।

दरबारी बचपन से थी तो, राज काज में दक्ष रहीं

प्रजाहित की समझ उसे थी,न्याय हेतु निष्पक्ष रहीं।।

शिवा थे आदर्श मनु के, समर भूमि फुलवारी थी

वाराणसी की वीर छबीली, मनु दुर्गा अवतारी थी।।   

 

शस्त्र चलाना बचपन से ही,बड़े चाव से सीखा था

भाला बरछा तलवारों से,मनु से न कोई जीता था।।

तीर कमान समशीर सदा, हाथों में शोभा पाते थे

बड़े बड़े योद्धा भी उनसे,लड़कर हार ही जाते थे।।

दुश्मन तो थर थर कापें थे,जब उनने हुंकारी थी

वाराणसी की वीर छबीली, मनु दुर्गा अवतारी थी।।   

 

राव गंगाधर संग फेरे ले, अब झाँसी की रानी थी

मनु से लक्ष्मी बाई बनी वो,आगे असल कहानी थी

अंग्रेजों के हड़प नीति ने, झांसी को अवसाद दिया

किया खजाना जब्त राज्य का,राजकोष बर्बाद किया।। 

झाँसी को रक्षित करने का,संकल्प लिए ये नारी थी

वाराणसी की वीर छबीली, मनु दुर्गा अवतारी थी।।   

 

रणचंडी बन कूद पड़ी वह, अंग्रेजों से टकराई थी

युद्ध भूमि में रण कौशल से,उनको धुल चटाई थी।।

हार गयी अंग्रेजी सेना,कालपी ग्वालियर भी हारी

झांसी की रानी काली बन,दुश्मनों पर थी भारी।।

वीरगति को पायी रानी, वीरांगना अवतारी थी

वाराणसी की वीर छबीली,मनु दुर्गा अवतारी थी।।   

उमेश यादव