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रविवार, 22 अगस्त 2021

जनहित में लग जाए

जनहित में लग जाए जीवन,यह संकल्प निभाएं 

देश धर्म संस्कृति रक्षण को,  हम राखी बंधवाएं।।

 

स्नेह प्रेम का पावन बंधन,है रक्षा का आश्वासन

उपक्रमण ब्राह्मणत्व जगाता,अवसर है मनभावन।।

यज्ञोपवीत धारण कर जीवन, को यज्ञीय बनाएं

देश धर्म संस्कृति रक्षण को, हम राखी बंधवाएं।।

 

असुर तत्व जब भी जगती में,देवों से टकराया 

रक्षा के सूत्रों ने तब तब, देव विजय करवाया।।

हम अमूल्य संस्कृति सूत्रों से,जीवन धन्य बनाएं

देश धर्म संस्कृति रक्षण को, हम राखी बंधवाएं।।

 

गुरु शिष्य का पर्व है पावन,नव जीवन गढ़ता है

प्रायश्चित से मन प्राण चेतना,को सुगढ़ करता है।।

अवनि अवितम श्रावणी है यह,ज्ञान पर्व बन पाए

देश धर्म संस्कृति रक्षण को,  हम राखी बंधवाएं।।

 

विमल प्रेम भगिनी भ्राता का, है यह रक्षाबंधन

इक दूजे के लिए स्नेह मय,है यह पूर्ण समर्पण।।

नारी जाति के लिए स्नेह का,दृष्टिकोण अपनाएँ

देश धर्म संस्कृति रक्षण को,  हम राखी बंधवाएं।।

उमेश यादव 02 अगस्त 2021