यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 24 अप्रैल 2024

स्वागत करें ज्योति कलश का

*ज्योति कलश* अखंड दीप गुरुवर की चेतना, ज्ञान रूप अवतारी हैं। स्वागत करें ज्योति कलश की, गुरु की ज्ञान सवारी है॥ हृदय बसाया जिनने गुरु को, गुरु सुमिरन दिन रैन किए। गुरु कार्य जीवन था अर्पित, जो पलभर न चैन लिए॥ है फिर उनको झंकृत करना, जिनकी शक्ति हारी है। स्वागत करें ज्योति कलश की, गुरु की ज्ञान सवारी है॥ साथ चली थी कभी कारवां, बैठ गए थे विवश क्लांति से। कारण कुछ था साथ है छूटा, मार्गविहीन हो गए भ्रांति से॥ उन सबको फिर साथ है लाना, नवयुग की यही तैयारी है। स्वागत करें ज्योति कलश की, गुरु की ज्ञान सवारी है॥ चरण गुरुवर के जहां पड़े थे, तीर्थ हमारे वहीं वहीं हैं। हाथ गुरु के सर जिनके था,नींव मिशन के आज वही हैं॥ उन सबको फिर एक सूत्र में, गूंथना ही जिम्मेदारी है। स्वागत करें ज्योति कलश की, गुरु की ज्ञान सवारी है॥ याद करें गुरुवर की वाणी, अखंड दीप में ज्योतित हैं वे। माताजी की जन्मशती है, ज्योति रूप आलोकित हैं वे॥ परिवर्तन का समय आ गया, फैली जग उजियारी है। स्वागत करें ज्योति कलश की, गुरु की ज्ञान सवारी है॥ -उमेश यादव

कोई टिप्पणी नहीं: