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शनिवार, 27 फ़रवरी 2021

गुरु रैदास (संत रविदास)

 गुरु रैदास (संत रविदास)

गुरु रैदास (संत रविदास)

‘जाति वंश’हो एक समान,के भावों का विस्तार किया।

गुरु रैदास‘जगतगुरु’ थे, ‘दुखियों हित अवतार’ लिया।।

 

‘कुल वर्ण’नहीं, सद्कर्म श्रेष्ठ है, गुरु ने हमें बताया था।

‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’,जाति-पाति मिटाया था।।

‘भक्ति प्रेम’ की अविरल धारा से,जग का उद्धार किया।

गुरु रैदास जगतगुरु  थे,  दुखियों हित अवतार लिया।।

 

बचपन से  ही ‘बैरागी’ थे,  ‘रामजानकी  अनुरागी’ थे।

पारस पत्थर पाकर भी वे, सौम्य सहज थे त्यागी  थे।।

जनसेवक अभिमान रहित बन,प्रभु का साक्षात्कार किया।

गुरु रैदास जगतगुरु थे, दुखियों हित अवतार लिया।।

 

अहं छोड़ मिलजुल कर रहना, गुरु ने हमें सिखाया है।

कृष्ण करीम हरि राम एक सब,गुरु ने हमें बताया है।।

‘मानव धर्म के संस्थापक’ने,जगती पर उपकार किया।

गुरु रैदास जगतगुरु थे,  दुखियों  हित अवतार लिया।।

 

प्रभु भक्ति के लिए हमारे, मन निर्मल अति पावन हो।

सदाचार और सद्व्यवहार का,शुद्ध ह्रदय से पालन हो।।

उर  पवित्र  करके  भक्तों ने, ईश्वर  को साकार किया।

गुरु  रैदास  जगतगुरु थे, दुखियों हित अवतार लिया।।

 

कवि  ज्ञानी  गुरु संत रूप में, रविदास विख्यात हुए।

लगन परिश्रम भक्ति भावना,‘जगतगुरु’ प्रख्यात हुए।।

कुरीतियों  में  फंसे  राष्ट्र को, नूतन श्रेष्ट विचार दिया।

गुरु रैदास जगतगुरु थे, दुखियों हित अवतार लिया।।

                                                 -उमेश यादव

रविवार, 7 फ़रवरी 2021

हरिद्वार महाकुम्भ


 हरिद्वार महाकुम्भ 


भक्ति ,श्रद्धा, प्रेम,भाव से,चलो चलें सब कुम्भ नहायें।

हरिद्वार के  महाकुम्भ  से, चलो चलें अमृत भर लायें।।

                                                चलो कुम्भ नहायें 

 

दिव्य हिमालय से ऋषियों ने,अमृत का संचार किया है

मनुज मात्र के कष्टों का,दिव्यौषध से उपचार किया है।।

श्रद्धा सहित, प्रेम मगन हो, मुनि-ऋषियों की जय गायें

हरिद्वार के  महा कुम्भ से, चलो चलें  अमृत भर लायें।।

 

सुधाकलश के अमृत रस से,दिव्य शक्तियां जाग रहीं हैं

दुष्ट-दैत्य का ठौर नहीं अब,असुर शक्तियां भाग रही हैं।।

देव संस्कृति  की  जय  होवे, धर्म ध्वजा जग में फहराएं

हरिद्वार के महा  कुम्भ  से, चलो  चलें  अमृत भर  लायें।।

 

देश  की  नव  चेतना  को, एकता को, बल  मिल रहा

राष्ट्र की हर चुनोतियों का, समस्या का हल मिल रहा।।

धर्म शक्ति से,राष्ट्र भक्ति का,द्वार द्वार जा अलख जगाएं

हरिद्वार के महा कुम्भ  से, चलो  चलें अमृत भर  लायें।।

 

राष्ट्र  जागरण  के  लिए  तो, कुम्भ  बृहत् अभियान है

आस्था  के  महापर्व  से जन, मानस का कल्याण है।।

राष्ट्र धर्म  को  जाग्रत करने,मानवता का  पाठ पढ़ायें  

हरिद्वार  के महा  कुम्भ से,चलो चलें अमृत भर लायें।।

-उमेश यादव 5-2-21