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मंगलवार, 12 अक्तूबर 2021

7.माँ कालरात्रि

 7.माँ कालरात्रि

कालरात्रि माँ, रौद्र रूप धर, दुष्टों का संहार करो। 

हे रुद्राणी चंडी माँ, असुरों पर कठिन प्रहार करो।।  


हे काली, हे महाकाली, हे भद्रकाली, रुद्राणी माता।

नाम स्मरण से ही अम्बे,यातुधान त्रसित हो जाता।।  

हे चामुंडा, दुर्गा माँ, खल दनुजों का अहंकार हरो।

कालरात्रि माँ, रौद्र रूप धर, दुष्टों का संहार करो।।


दुष्टों से पीड़ा पाकर माँ, साधू संत अब भटक रहे हैं।

असुर पुनः बढ़ रहे विश्व में,रक्तबीज फिर पनप रहे हैं।। 

माँ चंडिका क्रोध करो फिर, रक्त-बीजों पर वार करो।

कालरात्रि माँ, रौद्र रूप धर, दुष्टों का संहार करो।।


भद्रकाली माँ, भक्त जनों को, अत्याचारी रुला रहे हैं। 

सत्पथगामी सज्जनता को,दैत्य-दुष्ट फिर सता रहे हैं।।

शुभंकरी कल्याण करो माँ, अधमों का उपचार करो।

कालरात्रि माँ, रौद्र रूप धर, दुष्टों का संहार करो।।

-उमेश यादव

सोमवार, 11 अक्तूबर 2021

6.कात्यायिनी

6.कात्यायिनी

कात्यायिनी माते महामाया, रोग शोक संताप हरो।
हे माँ अम्बिके,मातु पराम्बा,जगती का परिताप हरो।।

महिषासुर मर्दिनी हे माता, द्वेष दंभ अब दूर करो।
चन्द्रहास कर शोभित माते, दुष्टों को भयभीत करो।।
दानव घातिनी हे जगदम्बे,जनम जनम के पाप हरो।
कात्यायिनी माते महामाया, रोग शोक संताप हरो।।

योगमाया माँ कात्यायिनी की, अर्चन जो कर पाते हैं।
धर्म अर्थ और काम मोक्ष को,सहज साध ही पाते हैं।।
सिंह वाहिनी चतुर्भुजा माँ, अर्चक के त्रय ताप हरो।
कात्यायिनी माते महामाया, रोग शोक संताप हरो।।

तू अमोघ फल दायिनी माते,योगेश्वरी महिमा है न्यारी।
त्रिभुवन सुंदरी हे माँ अम्बे,गौरवर्ण छवि है अति प्यारी।।
वर दो माते अभय करो अब, जीवन के अभिशाप हरो।
कात्यायिनी माते महामाया, रोग शोक संताप हरो।।
-उमेश यादव