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सोमवार, 11 अक्तूबर 2021

6.कात्यायिनी

6.कात्यायिनी

कात्यायिनी माते महामाया, रोग शोक संताप हरो।
हे माँ अम्बिके,मातु पराम्बा,जगती का परिताप हरो।।

महिषासुर मर्दिनी हे माता, द्वेष दंभ अब दूर करो।
चन्द्रहास कर शोभित माते, दुष्टों को भयभीत करो।।
दानव घातिनी हे जगदम्बे,जनम जनम के पाप हरो।
कात्यायिनी माते महामाया, रोग शोक संताप हरो।।

योगमाया माँ कात्यायिनी की, अर्चन जो कर पाते हैं।
धर्म अर्थ और काम मोक्ष को,सहज साध ही पाते हैं।।
सिंह वाहिनी चतुर्भुजा माँ, अर्चक के त्रय ताप हरो।
कात्यायिनी माते महामाया, रोग शोक संताप हरो।।

तू अमोघ फल दायिनी माते,योगेश्वरी महिमा है न्यारी।
त्रिभुवन सुंदरी हे माँ अम्बे,गौरवर्ण छवि है अति प्यारी।।
वर दो माते अभय करो अब, जीवन के अभिशाप हरो।
कात्यायिनी माते महामाया, रोग शोक संताप हरो।।
-उमेश यादव 

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