स्कन्द माता जय जगदम्बे, स्नेहामृत पयपान कराओ।
भाव शून्य हो रहे हैं उर माँ,स्नेह प्यार की धार बहाओ।।
हे करुणामयी,जग की माता,कृपा करो उपकार करो माँ।
प्रेम भाव विकसाओ सबमें, भवसागर से पार करो माँ।।
मनोकामना पूर्ण करो माँ,ह्रदय स्नेह सिंचित कर जाओ।
भाव शून्य हो रहे हैं उर माँ,स्नेह प्यार की धार बहाओ।।
शुभ्रवर्ण कमालासिनी माते,जीव मात्र पर कृपा करो अब।
बंधन मुक्त करो हे माता,दुःख कष्टों को दूर करो अब।।
चतुर्भुजा हे मातु भवानी, मुक्ति मोक्ष को सहज कराओ।
भाव शून्य हो रहे हैं उर माँ,स्नेह प्यार की धार बहाओ।।
परम सुखदायी हो माता,निज चरणों में ठौर हमें दो।
ममता करुणा स्नेह प्यार का,ह्रदय में भण्डार हमें दो।।
वर दो हे पद्मासना देवी, मूढ़ है बालक श्रेष्ठ बनाओ।
भाव शून्य हो रहे हैं उर माँ,स्नेह प्यार की धार बहाओ।।
-उमेश यादव
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