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रविवार, 10 अक्तूबर 2021

5.स्कन्द माता

5.स्कन्द माता 
स्कन्द माता जय जगदम्बे, स्नेहामृत पयपान कराओ। 
भाव शून्य हो रहे हैं उर माँ,स्नेह प्यार की धार बहाओ।।

हे करुणामयी,जग की माता,कृपा करो उपकार करो माँ। 
प्रेम भाव विकसाओ सबमें, भवसागर से पार करो माँ।। 
मनोकामना पूर्ण करो माँ,ह्रदय स्नेह सिंचित कर जाओ।
भाव शून्य हो रहे हैं उर माँ,स्नेह प्यार की धार बहाओ।। 
  
शुभ्रवर्ण कमालासिनी माते,जीव मात्र पर कृपा करो अब।
बंधन मुक्त करो हे माता,दुःख कष्टों को दूर करो अब।। 
चतुर्भुजा हे मातु भवानी, मुक्ति मोक्ष को सहज कराओ।   
भाव शून्य हो रहे हैं उर माँ,स्नेह प्यार की धार बहाओ।।

परम सुखदायी हो माता,निज चरणों में ठौर हमें दो। 
ममता करुणा स्नेह प्यार का,ह्रदय में भण्डार हमें दो।। 
वर दो हे पद्मासना देवी, मूढ़ है बालक श्रेष्ठ बनाओ। 
भाव शून्य हो रहे हैं उर माँ,स्नेह प्यार की धार बहाओ।।
-उमेश यादव

शनिवार, 9 अक्तूबर 2021

3.चंद्रघंटा

3.चंद्रघंटा
चंद्रघंटा हे शत्रु-हंता माँ, साधक को नव प्राण दो।
भक्तों के सब कष्ट हरो माँ,याचक को अनुदान दो।।

दिव्य भाव भरो हे माते,शौर्य जगा अब वीर बनाओ।
दिव्य शक्तियां दे हे माते, धीर और गंभीर बनाओ।।
चंद्रार्ध शोभित देवि अम्बे, प्रखर प्रज्ञा का ज्ञान दो। 
चंद्रघंटा हे  शत्रु-हंता माँ, साधक को नव प्राण दो।।

परम शांतिदायक हे अम्बे, शौम्य और विनम्र बनाओ।
सद्य: फलदायिनी हे माते, अंग अंग में कांति बढाओ।।
विपद निवारिणी,आद्यशक्ति माँ,बल बुद्धि विद्या दान दो।
चंद्रघंटा  हे  शत्रु-हंता माँ, साधक को  नव प्राण दो।।

दिव्य विभूतियाँ दे साधक को,माँ वांछित फल देती हैं।
सुख सौभाग्य शांति दे माते, मनोविकार  हर लेती है।।
जनहित में यह प्राण लगे माँ, हमको यह वरदान दो।  
चंद्रघंटा  हे  शत्रु-हंता  माँ, साधक को नव प्राण दो।।
-उमेश यादव

शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2021

2.ब्रह्मचारिणी माता


ब्रह्मचारिणी हे माँ दुर्गे, तप करने की शक्ति हमें दो।
ज्योतिर्मय हे मातु भवानी,चरणों में अनुरक्ति हमें दो।।

ब्रह्माण्ड निर्मात्री हे जगदम्बा, समस्त विद्याओं के ज्ञाता।
सफल करो ये जीवन अपना,कृपा भक्ति याचक हूँ माता।।
त्याग और वैराग्य बढ़ा माँ,अपनी अविचल भक्ति हमें दो।
ब्रह्मचारिणी हे माँ दुर्गे, तप करने की शक्ति हमें दो।।

हे ब्राह्मी माँ, तपश्चारिणी, ब्रह्म शक्ति मय तुम हो माता।
कमंडलु माला शोभित माते,बुद्धि विवेक नर तुमसे पाता।।
हे महादेवी, जगजननी माँ,ज्ञान भक्ति की युक्ति हमें दो।
ब्रह्मचारिणी हे माँ दुर्गे, तप करने की शक्ति हमें दो।।

सदाचार, संयम को माते, जीवन का आधार बना दो।
दुःख कष्टों से मुक्त हो जीवन,शान्तिमय संसार बनादो।।
त्रिभुवन सुंदरी हे माँ अम्बे,भव बंधन से मुक्ति हमें दो।
ब्रह्मचारिणी हे माँ दुर्गे, तप करने की शक्ति हमें दो।।
–उमेश यादव