7.माँ कालरात्रि
कालरात्रि माँ, रौद्र रूप धर, दुष्टों का संहार करो।
हे रुद्राणी चंडी माँ, असुरों पर कठिन प्रहार करो।।
हे काली, हे महाकाली, हे भद्रकाली, रुद्राणी माता।
नाम स्मरण से ही अम्बे,यातुधान त्रसित हो जाता।।
हे चामुंडा, दुर्गा माँ, खल दनुजों का अहंकार हरो।
कालरात्रि माँ, रौद्र रूप धर, दुष्टों का संहार करो।।
दुष्टों से पीड़ा पाकर माँ, साधू संत अब भटक रहे हैं।
असुर पुनः बढ़ रहे विश्व में,रक्तबीज फिर पनप रहे हैं।।
माँ चंडिका क्रोध करो फिर, रक्त-बीजों पर वार करो।
कालरात्रि माँ, रौद्र रूप धर, दुष्टों का संहार करो।।
भद्रकाली माँ, भक्त जनों को, अत्याचारी रुला रहे हैं।
सत्पथगामी सज्जनता को,दैत्य-दुष्ट फिर सता रहे हैं।।
शुभंकरी कल्याण करो माँ, अधमों का उपचार करो।
कालरात्रि माँ, रौद्र रूप धर, दुष्टों का संहार करो।।
-उमेश यादव