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रविवार, 10 अक्तूबर 2021

4.माँ कूष्मांडा

4.माँ कूष्मांडा

आदिस्वरुपा माँ कूष्मांडा,सृष्टि धारक पालक हो माता।
रोग शोक का अंत करो माँ,सिंहवाहिनी भगवती माता।।

अष्टभुजा हे आदिशक्ति माँ,निज स्मित से विश्व रचाया।
सूर्य समान दैदीप्य जगत में,दिव्य तेज सर्वत्र समाया।।
यश आरोग्य प्रदान करो माँ,हो भक्तों के भाग्य विधाता।
आदिस्वरुपा माँ कूष्मांडा, सृष्टि धारक पालक हो माता।।

दसों दिशाएँ, ग्रह नक्षत्र सब,तुमसे ही आलोकित होता।
जड़ चेतन व जीव जगत माँ,तुझसे ही संचालित होता।।
दिग-दिगंत से अति अनंत तक,नियंत्रण तेरा है माता।
आदिस्वरुपा माँ कूष्मांडा, सृष्टि धारक पालक हो माता।।

धनुष बाण चक्र गदा कर,अमृत-कलश कमंडल माला।
भक्तों की रक्षक हो माता,दुष्ट संहारक हो तीव्र ज्वाला।।
रिद्धि सिद्धि प्रदायिनी माते,भक्तों को वांछित वर दाता।
आदिस्वरुपा माँ कूष्मांडा,सृष्टि धारक पालक हो माता।।
-उमेश यादव 

बुधवार, 21 अप्रैल 2021

माँ नवदुर्गा


 माँ नवदुर्गा

हे नवदुर्गा कृपा करो माँ, जगती का उपकार करो। 

मानव में देवत्व जगाकर,भू पर स्वर्ग साकार करो।।


शैलपुत्री माँ सती-पार्वती,भव बंधन से मुक्त करा दो।

प्यार और सहकार बढ़े माँ, सुविचार की धार बहा दो।।

बृषभ स्थिता, हेमवती माता, दिव्य ज्ञान संचार करो।

मानव में देवत्व जगाकर, भू पर स्वर्ग साकार करो।। 


ब्रह्मचारिणी ब्राह्मी माता,तप करने की शक्ति हमें दो। 

शिव स्वरूपा गनेश जननी, शिव की अविचल भक्ति हमें दो।।

ज्योतिर्मय  हे  मातु उमा अब, मन में  श्रेष्ठ  विचार भरो।

मानव में देवत्व जगाकर, भू पर स्वर्ग साकार करो।।


चंद्रघंटा हे मातु भवानी, हर संकट को दूर भगा दे। 

सुख,सौभाग्य,शांति दे माते,हर मानव को श्रेष्ठ बना दे।।

दिव्य विभूतियाँ दे  दो  अम्बे, अहंकार  संहार  करो।

मानव में देवत्व जगाकर, भू पर स्वर्ग साकार करो।। 


कूष्मांडा हे आदिशक्ति माँ,तूने ही ब्रह्माण्ड बनाया।

अष्टभुजा हे आदिस्वरुपा, तेरी कांति सर्वत्र समाया।। 

रोग शोक का अंत करो माँ,अंतस से कुविचार हरो।

मानव में देवत्व जगाकर, भू पर स्वर्ग साकार करो।।  


स्कंदमाता परम सुखदायी,मुक्ति मोक्ष को सहज करा दो।

शुभ्रवर्ण कमलासिनी माते, मूढ़ मति  हैं, श्रेष्ठ बना  दो।।  

सांसारिक  जीवों  में  माता, नवचेतन का प्रसार  करो।

मानव में देवत्व जगाकर, भू पर स्वर्ग साकार करो।।  


कात्यायिनी माता की भक्ति,जो साधक कर पाता है। 

धर्म अर्थ और काम मोक्ष की,प्राप्ति सहज हो जाता है।। 

चतुर्भुजा हे  मातु पराम्बा, भय रोग शोक संताप हरो। 

मानव में देवत्व जगाकर, भू पर स्वर्ग साकार करो।। 


कालरात्रि हे महाकाली माँ,संत साधू अब भटक रहे हैं। 

रुद्रानी  चामुंडा  चंडी  माँ, रक्तबीज फिर पनप रहे  है।। 

हे शुभंकरी फिर असुर  बढ़े  हैं, उन सबका संहार करो। 

मानव  में  देवत्व जगाकर, भू पर स्वर्ग साकार करो।। 


महागौरी हे  मातु अम्बे, पाप हरिणी  पुण्य  प्रदाता। 

शक्ति  अमोघ  हे वृषारूढ़ा, सद्य: फलदायिनी हे माता।। 

चैतन्यमयी  हे  मातु भवानी, दुष्टों  का  उपचार करो।

मानव में देवत्व जगाकर, भू पर स्वर्ग साकार करो।। 

 

सिद्धिदात्री जय माँ दुर्गे, साधक में नव प्राण भरो।

सिंहासिनी कमलासिनी देवि, सर्वसिद्धि का दान करो।।

प्राणी मात्र को सुखी करो माँ, श्रद्धा का संचार करो।

मानव में देवत्व जगाकर, भू पर स्वर्ग साकार करो।। 


मातृरूप में हे माँ दुर्गा, हर  प्राणी  को वरदान दो।  

जीव मात्र हों सुखी निरोगी, सबका ही कल्याण हो।। 

हे नवदुर्गा,हे शक्तिस्वरूपा,मानव में श्रेष्ठ विचार भरो।

मानव में देवत्व जगाकर, भू पर स्वर्ग साकार करो।। 

-उमेश यादव 20-4-21