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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

नभ से भी ऊँचा पहुंचाया

*नभ से भी ऊँचा पहुंचाया*

 

उंगली पकड़ चलाया तुम्हीं ने,

सत्कर्म की राह तूने दिखाया  

उड़ने को जिनने पंख लगाए,

नभ से भी ऊँचा पहुंचाया।।

 

वही गुरु है, शिक्षक है वह,

मन का सही परीक्षक है वह

जय गायें उन गुरुओं की हम,   

धर्म संस्कृति का रक्षक है वह।।

अक्षरज्ञान कराकर जिनने,

ज्ञान और विज्ञान बताया

उड़ने को जिनने पंख लगाए,

नभ से भी ऊँचा पहुंचाया।।

 

मन मस्तिष्क को सही दिशा दे,

बदल हमें कुछ अलग बनाया

सही सोच से सही दिशा में,

कदम बढे ये भान कराया।।

साथ साथ चलकर के जिनने,

थकना हमको नहीं सिखाया

उड़ने को जिनने पंख लगाए,

नभ से भी ऊँचा पहुंचाया।।

 

लडखडाये मेरे पाँव जहाँ भी,

पाया हरदम साथ तुम्हारा  

अनवरत प्रेरणा और प्रकाश दे,

भविष्य उज्जवल किया हमारा

मेरे भविष्य के लिए लडे तुम,

तपी धुप बने तुम छाया

उड़ने को जिनने पंख लगाए,

नभ से भी ऊँचा पहुंचाया।।

-उमेश यादव, शांतिकुंज,हरिद्वार 

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