आदमी है क्या ये समझ नहीं आता है।*आदमी है क्या*
समझना चाहो तो और उलझ जाता है।।
भाई साहब हैं,बहनजी हैं,संगीतज्ञ और वादक है।
कार्यकर्ता, समयदानी, शिविरार्थी परिव्राजक है।। या फिर
इंजिनीयर है,डाक्टर है,किसान और मास्टर है।
दुकानदार, व्यवसायी है, ड्राईवर या लेबर है।।
मानवों का अलगअलग रूप नजर आता है।समझना चाहो तो......
संत हैं ऋषि हैं, साइंटिस्ट, महामानव हैं।
आतंकवादी, देशद्रोही, भ्रष्टाचारी दानव है।।
अभिनेता हैं, नेता हैं, मंत्री और सांसद है।
गुंडे, बदमास, भाई, समाज के आफत है।।
कर्मों से ही राक्षस या देव कहा जाता है। समझना चाहो तो......
हाथ है, पैर है, आँख है, नाक कान है।
रंग रूप भिन्न भिन्न,अंग सभी समान है।।
रक्त, मज्जा, अस्थि आदि,से सभी बने हुए।
पर विचारों में सभी के,अलग रंग सजे हुए।।
मष्तिष्क हीमानवों में,फरक दिखा जाता है।समझना चाहो तो......
राम है की रावण है, कृष्णा है की कंस है।
मनु-शतरूपा,आदम-ईव या ब्रह्मा के वंश है।।
लादेन है या बुश है, अटल है या मुश है।
गोधरा के बलिदानी, या आततायी ग्रुप है।।
आदमी का ही दो रूप,समझ नहीं आता है।समझना चाहो तो......
दुनिया नयी बसाने, मंगल गृह तक जा रहा।
बनी दुनिया को मिटाने,एटम बम बना रहा।।
क्लोनिंग कर नए मानव, भी बनाने जा रहा।
आतंकवादी मनुष्यों का, रक्त भी बहा रहा।।
दुहरी सोच मानव की समझ नहीं आता है।समझना चाहो तो......
प्रकृति का राजकुमार,अपनी गरिमा को पहचानो।
नासमझी की भूल ना करो,ईश रूप सबको जानो।।
औरों को सुख दे न सको तो,कष्ट किसी को न देना ।
औरों के हित मरना हो तो,मरना भी तुम सह लेना।।
आदमी का यही रूप समझ मुझे आता है। समझना चाहो तो......उमेश यादव -१९९८ के होली के समय
यह ब्लॉग खोजें
गुरुवार, 27 जनवरी 2022
आदमी है क्या 1998
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें