जन्मदिवस पर ----- तुझको,ऐसा
मैं उपहार दूँ।
आशीषों के समंदर को ही, अब तुझपे मैं वारि दूँ ।।
मै जैसी थी अबतक पुत्री,बिलकुल
तुम तो वैसी ही हो।
मेरी ही प्रतिकृति हो तुम,बिलकुल
जैसी मैं वैसी तू हो।।
कमियां जो मुझमें मैं सोचूं,
बस उससे तुम्हें उबार दूँ।
जन्मदिवस पर ----- तुझको,ऐसा मैं उपहार दूँ।
बड़ी हो रही हो तुम बेटा, बड़े
शान से जीवन जियो।
दुनिया के कडवाहट में भी,मधु
मिला शरबत तुम पियो।।
बन जाओ तुम सर्वश्रेष्ठ बस,
अपना यही विचार दूँ।
जन्मदिवस पर ------- तुझको, ऐसा मैं उपहार दूँ।।
माँ वह श्रेष्ठ कहाती है जो,बच्चों
को भी श्रेष्ठ बनाये।
संतानों को धन के बदले,
संस्कार-सुविचार दे पाए।।
मन करता है संचित पुण्यों से,
खुबसूरत संसार दूँ।
जन्मदिवस पर ----- तुझको, ऐसा
मैं उपहार दूँ।
आशीषों के समंदर को ही, अब
तुझपे मैं वारि दूँ।।
-माँ
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