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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

3.चंद्रघंटा

 

3.चंद्रघंटा

चंद्रघंटा हे शत्रु-हंता माँ, साधक को नव प्राण दो

भक्तों के सब कष्ट हरो माँ,याचक को अनुदान दो।।

 

दिव्य भाव भरो हे माते,शौर्य जगा अब वीर बनाओ

दिव्य शक्तियां दे हे माते, धीर और गंभीर बनाओ।।

चंद्रार्ध शोभित देवि अम्बे, प्रखर प्रज्ञा का ज्ञान दो 

चंद्रघंटा हे  शत्रु-हंता माँ, साधक को नव प्राण दो।।

 

परम शांतिदायक हे अम्बे, शौम्य और विनम्र बनाओ

सद्य: फलदायिनी हे माते, अंग अंग में कांति बढाओ।।

विपद निवारिणी,आद्यशक्ति माँ,बल बुद्धि विद्या दान दो

चंद्रघंटा  हे  शत्रु-हंता माँ, साधक को  नव प्राण दो।।

 

दिव्य विभूतियाँ दे साधक को,माँ वांछित फल देती हैं

सुख सौभाग्य शांति दे माते, मनोविकार  हर लेती है।।

जनहित में यह प्राण लगे माँ, हमको यह वरदान दो  

चंद्रघंटा  हे  शत्रु-हंता  माँ, साधक को नव प्राण दो।।

-उमेश यादव 25-4-21

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