रक्षा बंधन पर्व अलौकिक
भाई बहन का पर्व मनोरम, भाई मान बढ़ाना।
स्नेह प्यार का बंधन राखी, बहना से बंधवाना।।
अटूट प्रेम भावों से राखी, हाथ सजाई जाती।
रक्षा भाव जगाकर ही, हाथों में बंधाई जाती।।
मूल्यवान यह धागा भाई,इसका मोल
चुकाना।
स्नेह प्यार का बंधन राखी, बहना से बंधवाना।।
सूत्र तुम्हारा कवच बनेगा,उनकी रक्षा करना।
मुसीबतों के ढेर खड़े हों,रक्षक कभी न डरना।।
खुद मिट जाना भाई पर,बहना का
मान बचाना।
स्नेह प्यार का बंधन राखी, बहना से बंधवाना।।
माथे पर ये तिलक बहन का, उन्नत भाल रहेगा।
भगिनी की रक्षा करने, भैया तैयार मिलेगा।।
नहीं सताना बहना को, भाई हो फर्ज निभाना।
स्नेह प्यार का बंधन राखी, बहना से बंधवाना
जागृत करें नारी शक्ति को,उन्नत राष्ट्र बनेगा।
उन्नत होगी पीढ़ी अपनी,सभ्य समाज बनेगा।।
हर नारी श्रद्धा की देवी, हर पल भाव जगाना।
स्नेह प्यार का बंधन राखी, बहना से बंधवाना।।
-उमेश यादव 18-7-21
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