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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

गिर पायें उससे पहले ही

गिर पायें उससे पहले ही


विवश नहीं अति सक्षम हैं,उनको हम अपना बना सकें।
गिर पायें उससे पहले ही हम,चलना उनको सिखा सकें।।

जो बातें मुंह से कर न सके,अंतस उनका कमजोर नहीं।
ईश्वर की वाणी को सुनते वे,बाहर का कोई शोर नहीं।।
ख़ामोशी की आवाज सुनें,दिल भरे दर्द को मिटा सकें।
गिर पायें उससे पहले ही हम,चलना उनको सिखा सकें।।

उनके हंसने की वजह बनें,उनके अंतस के शोर सुनें।
जिस्म नहीं वह भाव पढ़ें, उन जीवन के अंजोर बनें।।
जिसकी दुनियां में रंग नहीं,रंगों से उनको मिला सकें।
गिर पायें उससे पहले ही हम,चलना उनको सिखा सकें।।

उनके सपनों को पंख दे,नभ में हम उनको उड़ा सकें।
ख्वाबों के बिखरे मुक्ता को हम,पुनः ढूंढ कर सजा सकें।।
तारे तोड़ हथेली दे दें, उनके भाग्य हम जगा सकें।
गिर पायें उससे पहले ही हम,चलना उनको सिखा सकें।।

दिव्यान्गता प्रकृति प्रदत है,वीरों सा इसका पालन है।
उनका दोष नहीं कुछ इसमें, ईश्वर का अनुशासन है।।
विलक्षण प्रतिभाएं हैं प्रभु के,हिम्मत दे इनको बढ़ा सकें।
गिर पायें उससे पहले ही हम,चलना उनको सिखा सकें।।

आओ संकल्प जगाते हैं, उनका सहयोग कर जाते है।
उनके अंग अवयव बनकर,हम अपना फर्ज निभाते हैं।।
उनके मन की आवाज सुने,कसक दिल से हम हटा सकें।
गिर पायें उससे पहले ही हम,चलना उनको सिखा सकें।।
-उमेश यादव, शांतिकुंज,हरिद्वार,


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