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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

नमन तुम्हें हे साक्षात ईश्वर

 नमन तुम्हें हे साक्षात ईश्वर


तुम्हीं हो माता पिता तुम्हीं हो, 

ब्रह्मा विष्णु स्वयं महेश्वर।

तुम्हीं हो बंधू सखा तुम्हीं हो, 

नमन तुम्हें हे साक्षात ईश्वर।। 


नन्हें कदम डगमगा ही रहे थे,

तुतली थी बातें,थे सबके प्यारे।

उंगली पकड़ कर चलाया तभी से,

संस्कार दे कर्म को भी सँवारे।। 

पथ के प्रदर्शक तुम्हीं हो हमारे, 

नमन तुम्हें हे परम परमेश्वर।

तुम्हीं हो बंधू सखा तुम्हीं हो, 

नमन तुम्हें हे साक्षात ईश्वर।। 


आदर्श पथ पर चलाया तुम्हीं ने, 

अनय में कभी न झुकना सिखाया।

विकट पथ पर भी चलाया तुम्हीं ने,

चले साथ में, ना थकना सिखाया।। 

सत्पथ दिखा  तूने जीवन सँवारे, 

नमन तुम्हें हे गुरु ज्ञानेश्वर।

तुम्हीं हो बंधू सखा तुम्हीं हो, 

नमन तुम्हें हे साक्षात ईश्वर।।   


अक्षर का ज्ञान तुमने सिखाया, 

ज्ञान का उर में दीपक जलाया।

मन का मल विक्षेप हटाकर,  

विश्वास का दीप तूने जलाया।।

अज्ञानता को हटाया तुम्हीं ने,

नमन तुम्हें है हे प्रज्ञेश्वर।

तुम्हीं हो बंधू सखा तुम्हीं हो, 

नमन तुम्हें हे साक्षात ईश्वर।। 

उमेश यादव, शांतिकुंज

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