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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

वसंत पर्व, वासंती परिधान

*वसंत पर्व*

पावन  पर्व  सुहाना आया, वासंती परिधान में।

पीत वसन में जुटे हैं साधक,नवयुग के निर्माण में।।

 

नयी सुबह है,नयी किरण है,नया भोर है नया चमन है।

नए पुष्प और नयी कली से,महका ये कुञ्ज उपवन है।।

नयी क्रांति के संग चले हम, नवयुग के नए विहान में।

पीत वसन में जुटे हैं साधक, नवयुग के निर्माण में।।

 

शीतल सौम्य समीर सुवासित,स्वर्ग बना ये घर आँगन है।

सुरभित मरुत चहुँदिश फैला,पुलक उठा ये मन प्रांगन है।।

चलें साथ हम मिल जुल कर, जुट जाएँ जन कल्याण में।

पीत वसन में जुटे हैं साधक, नवयुग  के निर्माण में।।

 

नयी चेतना नव्य प्राण ले, गूंज रहे मधुकर उपवन में।

हुलस रहे हिय,गुरु कार्य को,है उमंग हरेक जन मन में।।

नवयुग पुनः प्रतिष्ठित कर दें, फिर से इसी जहान में।

पीत वसन में जुटे हैं साधक, नवयुग के निर्माण में।।

 

रंग बिरंगे पुष्प खिले हैं, दिव्य तीर्थ के प्रांगण में।।

वासंती उल्लास जगा है,जोश भरा है हर तन मन में।।

युवा शक्ति का आवाहन है,जुट जाएँ राष्ट्र उत्थान में।

पीत वसन में जुटे हैं साधक, नवयुग के निर्माण में।।

-उमेश यादव

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