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रविवार, 16 जनवरी 2022

मकर संक्रांति











मकर संक्रांति

महापर्व संक्रांति का पावन,सबके मन को भाता है। 

पोंगल,लोहिड़ी,खिचड़ी,बीहू,मकर संक्रांति कहलाता है।।


मकर राशि में जाकर सूरज, उत्तरायण हो जाता है।

संक्रांति की सूर्य रश्मियाँ, सबको स्वस्थ बनाता है।।

भिन्न भिन्न रूपों में देश यह,माघी पर्व मनाता है।

महापर्व संक्रांति है पावन,सबके मन को भाता है।।  


नाम अनेक त्यौहार एक है, पर्व ना ऐसा दूजा है। 

फसलों का त्यौहार है पावन,सूर्य देव की पूजा है।।

तिलकुट गजक रेवड़ी खिचड़ी,बल आरोग्य बढ़ाता है। 

महापर्व संक्रांति है पावन,सबके मन को भाता है।। 



धनु राशि को छोड़ सूर्य जब उत्तरायण में आते हैं।

शुभ मुहूर्त का प्रारम्भ होता,दिवस बड़े हो जाते हैं।।

पितरों का तर्पण करने से,बंधन मुक्त हो जाता है।

महापर्व संक्रांति है पावन,सबके मन को भाता है।।


जप तप ध्यान दान पर्व में,शतोगुणी फल देता है। 

संगम सागर नदियों में, स्नान पाप हर लेता है।।  

‘तिल गुड़ लो और मीठा बोलो’पर्व यही सिखलाता है। 

महापर्व संक्रांति का पावन, सबके मन को भाता है। 

-उमेश यादव, शांतिकुंज, हरिद्वार

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