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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

हम राखी बंधवाते हैं

 

*हम राखी बंधवाते हैं*

रक्षा बंधन पर जीजी से, हम राखी बंधवाते हैं।

तिलक लगा नेकी पर चलने,की हम शपथ उठाते हैं।।

 

औरों के हित जीना है अब,गुरुवर की मंजिल पानी है।

दुःख कष्टों से भीत हुए तो, वो क्या ख़ाक जवानी है।।

रही जो साँसें शेष हमारे, जनहित में उसे लगाते हैं।

रक्षा बंधन पर जीजी से, हम राखी  बंधवाते हैं।

 

कुचक्रों को काटेंगे हम, दुरभिसंधियां कहीं ना होगी।

द्वेष दंभ को मिटना होगा,छल प्रपंच की हानि होगी।।

रगों में पावन रक्त है माँ का,सौगन्ध उन्हीं की खाते हैं।

तिलक लगा नेकी पर चलने, की हम शपथ उठाते हैं।।

 

कर्मों की धारा से हमको अब,युग की चाल बदलना है।

साहस शौर्य जगाकर सबमें,नवल सृजन हित चलना है।।

युग पीड़ा का अंत करेंगे, मिलकर संकल्प जगाते हैं।

आओ जीजी के हाथों से हम, राखी आज बंधवाते है।। 

 

चलें मशाल हाथ में लेकर,अंधियारा मिट जाए जग से।

जीवन पथ निष्कंटक होवे,शूल हटें जन जन के मग से।।

निष्ठां लगन परिश्रम से हम, मंजिल तक बढ़ जाते हैं।

तिलक लगा नेकी पर चलने, की हम शपथ उठाते हैं।।

-उमेश यादव 19-7-21

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