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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

मैं पुरुषों पर भारी हूँ।

अद्वितीय है शक्ति हमारी,पुरुषों पर मैं भारी हूँ

    मैं नारी हूँ,मैं नारी हूँ,मैं नारी हूँ,मैं नारी हूँ।।

 

रहती हूँ अलमस्त हमेशा, कोई भी चाहे सोचे कैसा  

पद प्रतिष्ठा गौरव में भी, कोई नहीं है मेरे जैसा।।

ना मैं कायर,ना हूँ बुजदिल,मैं दुर्गा की अवतारी हूँ

      मैं नारी हूँ,मैं नारी हूँ,मैं नारी हूँ,मैं नारी हूँ।।

 

जाती हूँ मैं जहां वहीँ सब,सुरभि पाकर मुस्काते हैं

यश कीर्ति हमारी ऐसी है, उर में शीतलता पाते हैं।।

सरल ह्रदय हूँ मैं फिर भी,खल दुष्टों को संहारी हूँ

      मैं नारी हूँ,मैं नारी हूँ,मैं नारी हूँ,मैं नारी हूँ।।

वाह निकलते मुख से जब,मेरी प्रतिभा से मिलते हैं

लग जाते मन शुभकर्मों में,ह्रदय पाषाण पिघलते हैं।।

   रुचिर, रम्य,कमनीय छवि,सौंदर्य की अवतारी हूँ

     मैं नारी हूँ,मैं नारी हूँ,मैं नारी हूँ,मैं नारी हूँ।।  


अपनी शक्ति सामर्थ्य  सभी से,मैं पुरुषों पर भारी हूँ।
             मैं नारी हूँ ,मैं नारी हूँ,मैं नारी हूँ, मैं नारी हूं।।

रहती हूं बिंदास हमेशा, इर्ष्या करे चाहे जो जैसा। 
पद-प्रतिष्ठा,मान-सम्मान में,कोई नहीं है मेरे जैसा।
ना मैं कायर,ना बुजदिल हूं,मैं दुर्गा की अवतारी हूं।
           मैं नारी हूँ ,मैं नारी हूँ,मैं नारी हूँ, मैं नारी हूं।।

जाती हूँ मैं जहां कहीं भी,पुष्प सुगन्धित हो  जाते हैं।
यह अद्भूत सौंदर्य देखकर,शुष्क हृदय स्नेह पाते हैं।
सरल हृदय है मेरा फिर भी, मैं दुष्टों को सन्हारी हूं।
           मैं नारी हूँ ,मैं नारी हूँ,मैं नारी हूँ, मैं नारी हूं।।

वाह वाह करते हैं सब जब,मेरी प्रतिभा से मिलते  हैं।
लग जाते शर, होते घायल, हृदय पाषाण पिघलते  हैं।।
          रुचिर रम्य कमनीय छवि,सुन्दरता पर सबसे भारी हूं।
             मैं नारी हूँ ,मैं नारी हूँ,मैं नारी हूँ, मैं नारी हूं।।

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