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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

जगतजननी माँ सुनो

 

*जगतजननी माँ सुनो*

स्नेह ममता मयी माँ को,आज ये पुकार है।

जगतजननी माँ सुनो,यह पुत्र की गुहार है।। 

 

आसरा हो तुम्हीं माते,दूर कर संताप जग के।

वेदनाएं सह रहे पग,दूर कर हर शूल मग के।।

फंस चुकी है नाव अपनी,जहाँ पर मंझधार है।

जगतजननी माँ  सुनो, यह पुत्र की गुहार है।।   

 

विलखते हैं पूत तेरे, आर्त स्वर्ण में माँ पुकारे।

शरण में हूँ,सुनो माते, दूर कर दे कष्ट सारे।।

खुश रहे सारा जहाँ, बस एक ही मनुहार है।

जगतजननी माँ सुनो यह, पुत्र की गुहार है।।   

 

पीर बढ़ता जा रहा माँ,सहन शक्ति क्षीण है।

शेष बस तेरा सहारा,  हर  तरह से दीन हैं।।

दे जरा तू हाथ अपना, तू ही तो आधार है।

जगतजननी माँ सुनो यह, पुत्र की गुहार है।।    

 

कर कृपा दे शौर्य माते, लडखडाना ना पड़े।

दूर हों भव विघ्न सारे,राह में अब ना अड़े।।

शक्ति दो साहस हमें दो,याचना अधिकार है।

जगतजननी माँ सुनो यह, पुत्र की गुहार है।।    

 

तृषित होते भाव अपनें,स्नेह की ना धार है।

बन गए हैं रिपु अपने,दूर तक ना प्यार है।।

शुष्क होते हर ह्रदय को,प्यार की दरकार है।

जगतजननी माँ सुनो यह, पुत्र की गुहार है।।--उमेश यादव

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