सरफ़रोशी की तमन्ना
सरफ़रोशी की
तमन्ना, दिल
में भरकर आगे आओ।
देश धर्म संस्कृति के खातिर,अब अपना सर्वस्व
लगाओ।।
आजादी है पाई किन्तु, अब भी बंधन में पड़े
हुए हैं।
फिरंगियों से हुए स्वतंत्र पर,फिरंगियत से जुड़े
हुए हैं।।
राष्ट्र धर्म को संबल देने, राष्ट्रभक्त अब आगे
आओ।
देश धर्म संस्कृति के खातिर,अब अपना सर्वस्व
लगाओ।।
हंस हंस कर बलि हो वीरों ने, क्रांति का पैगाम
दिया।
सीने में गोली खाकर भी, आजादी को अंजाम
दिया।।
इन्कलाब का नारा दे फिर, राष्ट्र प्रेमियों
कदम बढ़ाओ।
देश धर्म संस्कृति के खातिर,अब अपना सर्वस्व
लगाओ।।
आजादी के लिए भगत ने, हँसकर फांसी चूमा
था।
सुकदेव राजगुरु के मत से ये,देश ही पूरा झूमा
था।।
सुखी सम्मुनत राष्ट्र बनाने,हे वीरों अब शौर्य
दिखाओ।
देश धर्म संस्कृति के खातिर,अब अपना सर्वस्व
लगाओ।।
प्रगति के
बाधक तत्वों को, रौंद हमें आगे बढ़ना
है।
सोने की चिड़िया वाला ये, देश हमें फिर से
गढ़ना है।।
बलिदानों को याद करें सब,पुन: देश हित जोश
जगाओ।
देश धर्म संस्कृति के खातिर,अब अपना सर्वस्व
लगाओ।
–उमेश यादव
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