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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

प्रज्ञा योग

 प्रज्ञा योग*

योग युक्त जीवन शैली को, आओ हम अपनाएँ।

रोज करें हम प्रज्ञा योग को,तन मन स्वस्थ बनायें।।

सावधान हो जायें,विश्राम हो जायें,सावधान हो जायें।।0

 

*ताड़ासन–ॐ भू:*

प्रज्ञा योग शुरू करें हम, दोनों हाथ उठायें।

साँसों को लेकर, नजरों को, आसमान ले जायें।।

पंजों पर वजन आ जाये,एड़ी ऊपर उठ जाए।

ताड़ासन की मुद्रा से हम, सुन्दर गात बनायें।।1

 

*पाद हस्तासन–ॐ भुवः*

पाद हस्तासन करने आओ,हाथों को नीचे लायें।

सांस छोड़ते हुए झुकें हम,धरती से हाथ लगाएं।।

सर को घुटने से छूने की,कोशिश हम कर जायें।

पादहस्तासन की मुद्रा से, रीढ़ को स्वस्थ बनाएं।।2

 

*वज्रासन-ॐ स्वः*

पैरों के पीछे मोड़कर,वज्रासन सभी लगाएं।

घुटनों से पैरों को मोड़ें, पंजे  पीछे  ले जायें।।

श्वास रहे सामान्य गति से,पैरों पर बिठ जायें।

वज्र समान शरीर बनेगा, वज्रासन  अपनाएँ।।3

 

*उष्ट्रासन-ॐ तत*

ऊँट की तरह बनना है,घुटनों से हाथ उठायें।

पीछे से घुमाकर  हाथों को. एड़ी पर ले जायें।।

श्वास सामान्य रहे, दृष्टि को आसमान ले जायें।

उष्ट्रासन से पीठ, कमर को,स्वस्थ सशक्त बनाएं।।4

 

*योगमुद्रा-ॐ सवितु*

सांस छोड़ते हुए पूर्ववत, पंजो पर आ जायें।

पीछे से अंगुलियाँ फंसाकर,सिर निचे झुक जाए।।

पीछे दोनों हाथ उठाकर,भूमि पर सर टिक जाए।

जठराग्नि को तीव्र करे यह,योगमुद्रा कहलाये।।5

*अर्द्ध ताड़ासन–ॐ वरेण्यं*

पैरों के बल पुनः बैठ कर, वज्रासन में जाएँ।

इस आसन  में बैठे बैठे, उपर हाथ ले जायें।।

श्वास रहे सामान्य हमारा, सर ऊपर उठ जाए।

हथेलियों को देखें ऊपर, ताड़ासन अर्ध बनायें।।6

*शंशाकसन-ॐ भर्गो*

शशक समान बैठें हम अब,सप्तम आसन पर जायें।

श्वास छोड़ते हुए कमर से, आगे  शरीर झुकाएं।।

हाथों को ले जाए आगे, जितना संभव हो पाए।

मस्तक से धरती को छुएँ,शशांकासन बन जाए।।7

*भुजंगासन-ॐ देवस्य*

भुजंगासन को करना है अब,सर्प सा बन जायें।

श्वास को खीचें, कमर उठायें, धड़ आगे ले जायें।।

पंजे हिलें ना हाथ पैर के, भूमि से जंघा छू जाए।

गर्दन छाती उठे ऊपर को, भुजंगासन बन जाए।।8

 

*तिर्यक भुजंगासन बाँयें-ॐ धीमहि*

भुजंगासन में ही बाएं मोड़ें, आसन नवम बताएं।

नहीं कोई परिवर्तन है बस,सर को वाम घुमाएं।।

साँसे हो सामान्य हमारे,  एड़ी तक नजर दौडाएं।

तिर्यक भुजंगासन है इसको,नियमित करें कराएं।।9

 

*तिर्यक भुजंगासन दायें -ॐ धियो*

सहज क्रम में धीरे धीरे, सर को दायें घुमाएं।

यह आसन पहले जैसा है,सहज श्वास  चलायें।।

गर्दन को बाएं से दायें, दृष्टि चरण तक जाए।

त्रियक भुजंगासन दक्षिण से,आओ लाभ उठायें।।10

 

*शंशाकसन –ॐ योनः*

शशांक आसन उलटे क्रम में,पुन: शशक बन जाएँ।

हवा सांस से बाहर निकले, आगे शरीर झुकाएं।।

हिले न पंजे हाथ पैर के, सर भू पर लग जाए।  

जितना भी हो पाए उतना,मन को शांत बनाएं।।11

 

*अर्द्ध ताड़ासन- ॐ प्रचोदयात*

बैठकर ही करना है यह तो,ताड़ासन अर्ध बनाएं।

हाथों को भी उपर करके, गर्दन कमर उठायें।।

श्वास सामान्य रहे हमारा, सर उपर उठ जाए।

दृष्टि हमारी हथेलियों पर, ऊपर को उठ जाए।।12

 

*उत्कटासन-ॐ भू*

नमस्कार सभी देवों को,हाथ जोड़ कर करते हैं।

बैठें पंजों के बल दोनों, हाथ से धरती छूते हैं।।

श्वास गति समान्य रहे,उत्कट आसन में आयें।

शरीर संतुलित होगा इसको,नियमित करते जाएँ।।13

 

*पाद हस्तासन-ॐ भुवः*

तलवा को धरती पर रखें,हाथों को जमीं सटाएँ।

घुटनों से सीधा करें पैर,कुल्हे को जरा उठायें।।

बाहर सांस निकालें सर, घुटनों से पुन:सटाएँ।

पाद हस्तासन करें सदा, वायु के दोष भगाएं।।14

 

*पूर्ण ताड़ासन-ॐ स्वः*

पूर्ण ताड़ासन की मुद्रा को, सीधे उपर उठ जाएँ।

सांस खीचते हुए कमर से, ऊपर सब उठ जाए।।

नजर रहेगी आसमान में, ताड़ासन दुहरायें।

रक्तदोष को ठीक करे  दुर्बलता दूर भगाए।।15

 

*शक्तिवर्धक आसन-ॐ*

भाव करें की स्वस्थ हुए है,आत्मबल बढ़ जाए।

मुठियाँ कसते,बल सहेजते, श्वास छोड़ते जाएँ।।

हाथों को नीचे ले आयें, सावधान हो जाएँ।

एक चक्र है प्रज्ञायोग का,क्षमता भर करें कराएं।।16-

-उमेश यादव 


 

*तिर्यक भुजंगासन बाँयें-ॐ धीमहि*

भुजंगासन में ही बाएं मोड़ें, आसन नवम बताएं।

नहीं कोई परिवर्तन है बस,सर को वाम घुमाएं।।

साँसे हो सामान्य हमारे,  एड़ी तक नजर दौडाएं।

तिर्यक भुजंगासन है इसको,नियमित करें कराएं।।9

 

*तिर्यक भुजंगासन दायें -ॐ धियो*

सहज क्रम में धीरे धीरे, सर को दायें घुमाएं।

यह आसन पहले जैसा है,सहज श्वास  चलायें।।

गर्दन को बाएं से दायें, दृष्टि चरण तक जाए।

त्रियक भुजंगासन दक्षिण से,आओ लाभ उठायें।।10

 

*शंशाकसन –ॐ योनः*

शशांक आसन उलटे क्रम में,पुन: शशक बन जाएँ।

हवा सांस से बाहर निकले, आगे शरीर झुकाएं।।

हिले न पंजे हाथ पैर के, सर भू पर लग जाए।  

जितना भी हो पाए उतना,मन को शांत बनाएं।।11

 

*अर्द्ध ताड़ासन- ॐ प्रचोदयात*

बैठकर ही करना है यह तो,ताड़ासन अर्ध बनाएं।

हाथों को भी उपर करके, गर्दन कमर उठायें।।

श्वास सामान्य रहे हमारा, सर उपर उठ जाए।

दृष्टि हमारी हथेलियों पर, ऊपर को उठ जाए।।12

 

*उत्कटासन-ॐ भू*

नमस्कार सभी देवों को,हाथ जोड़ कर करते हैं।

बैठें पंजों के बल दोनों, हाथ से धरती छूते हैं।।

श्वास गति समान्य रहे,उत्कट आसन में आयें।

शरीर संतुलित होगा इसको,नियमित करते जाएँ।।13

 

*पाद हस्तासन-ॐ भुवः*

तलवा को धरती पर रखें,हाथों को जमीं सटाएँ।

घुटनों से सीधा करें पैर,कुल्हे को जरा उठायें।।

बाहर सांस निकालें सर, घुटनों से पुन:सटाएँ।

पाद हस्तासन करें सदा, वायु के दोष भगाएं।।14

 

*पूर्ण ताड़ासन-ॐ स्वः*

पूर्ण ताड़ासन की मुद्रा को, सीधे उपर उठ जाएँ।

सांस खीचते हुए कमर से, ऊपर सब उठ जाए।।

नजर रहेगी आसमान में, ताड़ासन दुहरायें।

रक्तदोष को ठीक करे  दुर्बलता दूर भगाए।।15

 

*शक्तिवर्धक आसन-ॐ*

भाव करें की स्वस्थ हुए है,आत्मबल बढ़ जाए।

मुठियाँ कसते,बल सहेजते, श्वास छोड़ते जाएँ।।

हाथों को नीचे ले आयें, सावधान हो जाएँ।

एक चक्र है प्रज्ञायोग का,क्षमता भर करें कराएं।।16-

-उमेश यादव

 

 


 

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