*हे
सूर्य, षष्टी माता*
हे
आदित्य भगवान जगत से, कष्ट,शोक संताप हरें।
हे
सूर्य, षष्टी माता, निज भक्तों का कल्याण करें।।
असुरों
ने जब देवों पर ही, भीष्ण अत्याचार किया।
हार
गए तब देव असुर से,ऐसा प्रबल प्रहार किया।।
देवों
की माता अदिति ने, तप हेतु प्रस्थान किया ।
माँ
छठी की कृपा हुई तब,दिव्य पुत्र वरदान दिया।।
अदिति
पुत्र ने जय पाया,
हम उनका ही ध्यान धरें।
हे
सूर्य, षष्टी माता, निज भक्तों का कल्याण करें।।
सूर्य
पुत्र ने सुर्यार्चन से,बल ऐश्वर्या को पाया था।
सूर्य
अर्घ्य और उपासना को, कर्ण ने अपनाया था।।
छठ
व्रत से ही पांडवों ने,राज पाट को पाया था।
द्रौपदी
ने व्रत करके ही, खोया
मान लौटाया था।
जगपालक
दिनमान सूर्य हैं,श्रद्धा
सहित प्रणाम करें।
हे
सूर्य, षष्टी माता, निज भक्तों का कल्याण करें।।
माँ
सीता संग श्रीराम ने, सूर्य षष्ठी व्रत अपनाया था।
ऋषि
मुद्गल ने रावणबध के,पापों से मुक्त कराया था।
माँ
सीता ने विधि विधान से, माँ छठी का ध्यान किया।
छः
दिवस तक दोनों ने ही, माँ छठी को मान दिया।
भगवन
भाष्कर संग में माता, छठी को प्रणाम करें।
हे
सूर्य, षष्टी माता, निज भक्तों का कल्याण करें।।
सविता
देव कल्याण करो प्रभु,भक्तों को वरदान दो।
धन
धान्य संतान प्राप्ति हो,दुःख कष्टों से त्राण दो।।
हे
दिनकर, हे
कृपानिधान,सारे
जग का कल्याण करो।
हे
सविता, हे
शक्तिपुंज,तम
का जग से अवसान करो।।
भगवान
सूर्य संग माँ षष्टी का,स्तुति अर्चन गान करें।
हे
सूर्य, षष्टी माता, निज भक्तों का कल्याण करें।।
उमेश
यादव
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