यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 27 जनवरी 2022

गीता

  

कर्म किये जा फल की चिंताक्यों करता बेकार है। 

कर्म का फल तो मिलता ही है ,यह गीता का सार है।। 

ज्ञान कर्म और भक्ति योग हीगीता का उपदेश है। 

कर्त्तव्य मार्ग पर बढ़ो निरंतरईश्वर का सन्देश है।। 

परहित सबसे बड़ा धर्म हैदुःख देना दुराचार  है। 

कर्म का फल तो मिलता ही है,यह गीता का सार है।। 

संयम सेवा सहिष्णुता का,ज्ञान हमें सिखलाता है।। 

धर्म अर्थ व  काम मोक्ष का, महत्व हमें बतालाता है। 

जन सेवा में अर्पित जीवन, सर्वोतम संस्कार है । 

कर्म का फल तो मिलता ही है,यह गीता का सार है।। 

संत-साधू की रक्षा हेतुईश्वर हरदम आते है। 

दुष्ट दुर्जनों का संहार करदुनिया नयी बसाते हैं।। 

परोपकार मय जीवन जिनका,उन्हें मिला प्रभु प्यार है। 

कर्म का फल तो मिलता ही है,यह गीता का सार है। 

अजर अमर यह आत्म कलेवर,क्यों निराश तुम होते हो। 

मन को साधो हे मनुष्य क्योंसाहस को तुम खोते हो।। 

प्रभु की रचना स्वर्ग सी सुन्दरयह अद्भुत संसार है। 

कर्म का फल तो मिलता ही है ,यह गीता का सार है।। 

क्या लाये थे क्या ले जानाखाली हाथ ही जाना है। 

सब कुछ ईश् को सौप दे बन्देअंतिम वही ठिकाना है।। 

स्वार्थ नहीं परमार्थी जीवन, जनहित का आधार है 

कर्म का फल तो मिलता ही है ,यह गीता का सार है।। 

-उमेश यादव 

कोई टिप्पणी नहीं: