चित्रफलक तो श्वेत श्याम है,रंग ही उसका मूल प्राण है।
‘तूलिका’को सर्वस्व अर्पण कर,हो जाती कृतियाँ महान हैं।।
जीवन पथ पर भटक रहा था,पास नहीं अपनी मंजिल थी।
लक्ष्य कहीं न दीख रहा था, दूर कहीं अपनी साहिल थी।।
झंझावातों भरी उदधि में, तरिणी अपनी अटक रही थी।
संकट का वह पारावार था, चक्रवात से उलझ रही थी।।
सघन तमिस्रा चहुँ ओर थी,नहीं पास में अभी भोर थी।
सब कुछ सूना सूना सा था,ताने की सब उलझी डोर थी।।
जीवन भी तब बड़ा उदास था,ना कोई उमंग उल्लास था।
खोया खोया आत्मविश्वास था,लगता कोई नहीं खास था।।
शुष्क हृदय था,क्षीण प्राण था,रंगों का भी नहीं ज्ञान था।
जीवन का जो चित्रफलक था,पटल हमारा स्वेत श्याम था।।
तब जीवन की एक किरण ने,फिजा बदल दी रश्मिकणों ने।
लगा की नौका साहिल पर है, झंझा का ना कोई डर है।।
अरुण भाग्य का उदय हुआ था,ईश्वर भी तब सदय हुआ था।
चित्रफलक ने ली अंगड़ाई, ‘तूलिका’ जब अस्तित्व में आई।।
इन्द्रधनुष सी निखर उठी थी,सतरंगी बन शिखर चढ़ी थी।
प्राण पटल रंगों से भर के, जीवन सफल कूंची ने कर दी।।
नए नए नित चित्र बनाये, स्वर्ग धरा पर ही ले आये।
नवल चेतना,दिव्य प्राण भर, इसने ही नव रंग बनाए।।
चित्रफलक हर्षित हो पुलका, चित्रों की है प्राण ‘तूलिका’।
सारे जहाँ की शान‘तूलिका’,चित्रों से भी महान ‘तूलिका’।।
'तूलिका' बिन कुछ मूल्य नहीं है,'तूलिका' से ही मूल्य सही है।
‘तूलिका’ को अर्पण तन मन सब,चित्रफलक की कथा यही है।।
-उमेश यादव 19-4-21
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