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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

वह छोटी सी चिड़िया है

वह छोटी सी चिड़िया है


रोज शाम को घर वो आती,
झूलते पत्तों पर सो जाती।
सुबह सवेरे भिनसारे ही,
चीची करके गान सुनाती।।

अपने जगने से पहले ही,
टहनी से उड़ जाती है वो।
रख दो दाने, पानी रख दो,
कुछ भी कभी न खाती है वो।।

दिनभर कहाँ बिताती है वो,
क्या पीती क्या खाती है वो।
कहाँ कहाँ पर जाती है वो,
हमको नहीं बताती है वो।।

वह प्यारी सी चिड़िया है,
छोटी नन्हीं सी गुडिया है।
वह आती है जब भी घर में,
मन ही मन माँ हर्षाती है।।

सबसे कहती अब चुप हो जा,
चिड़िया के संग में सब सो जा।
सुबह सुबह जल्दी है जगना,
दिन भर खुश पक्षी सा रहना।।

सोचता हूँ पक्षी बन जाते,
मेहनत का दाना ही खाते।
जल्दी सोते, जल्दी जगते,
प्राकृतिक जीवन अपनाते।।

खुले गगन में दूर दुर तक,
नभ से उपर उड़ उड़ कर,
यहाँ वहां जहाँ मन करता,
उड़ता रहता कभी न थकता।।

कभी रोग न होते हमको,
बड़े चैन से सोते हम तो।
सुबह सवेरे शुद्ध हवा में,
इतराते इठलाते हम तो।।

संग्रह का जीवन न होता,
जरुरत है बस उतना लेता।
हाय हाय कभी ना करता,
सुख चैन से जीवन जीता।।

पर्यावरण का मित्र बन जाता,
वन बचाते, जीव बच पाता।
पक्षियों सा जीवन जीकर के,
प्राकृतिक आनंद ले पाता।।
-उमेश यादव 19-5-21

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