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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

तप में शक्ति अपार

 

तप में शक्ति अपार

तप  से  संचालित यह सृष्टि, तप से ही संसार है

तप कर जीवन धन्य बनाएं,तप में शक्ति अपार है।।

 

सूरज के तपने से जग को,प्राण शक्ति मिल पाती है

वायु  के  तपने  से जलधर, जल वर्षा करवाती है।।

तपकर  ही  सोना कुंदन बन, पाता श्रेष्ठ निखार है

तप कर जीवन धन्य बनाए,तप में शक्ति अपार है।।

 

सौ बार तपे अभ्रक तब ही,रस चंद्रोदय बन पाता है

मिटटी भी तपकर भट्ठे में, पाहन सा बन जाता है।।

जठराग्नि से शोधित अन्न से, शोणित का संचार है

तप कर जीवन धन्य बनाए, तप में शक्ति अपार है।।

 

सौ वर्ष तपे जब ब्रह्मा तो, इस सृष्टि का निर्माण हुआ

शतरूपा और मनु के तप से,मानव धर्म आधान हुआ।।

तपरूप स्वयं शिव शंकर से ही, जगती का उद्धार है

तप कर जीवन धन्य बनाए, तप में शक्ति अपार है।।

 

माँ गिरिजा ने तप करके ही, महादेव को पाया था

तप के बलपर सावित्री ने, यम से पति छुड़ाया था।।

अनुसूया, कुंती, दमयंती, तप  के  सब  भंडार  हैं

तप कर जीवन धन्य बनाए,तप में शक्ति अपार है।।

-उमेश यादव

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