*जीवन को आसान करो।*
हे करूणानिधि,हे शिवशंकर,जीवन को आसान करो।
दूर करो व्यसनों को मेरे,क्षुद्र से मुझे महान करो।।
निविड़ निशा में भटक चुके हैं,कोई नहीं ठिकाना है।
राही हैं पर पता नहीं है,किस पथ चलकर जाना है।।
बहुत सहे हैं दर्द समय का,शिव हो अब कल्याण करो।
हे करूणानिधि,हे शिवशंकर,जीवन को आसान करो।।
मृत्यु और जीवन के प्रभु, तुम साँसों की डोर हो ।
जीवन में खुशियाँ आ जाये,शिव सुखों की भोर हो।।
हे मृत्युंजय,हे गंगाधर, प्रजाजनों का त्राण करो ।
हे करूणानिधि,हे शिवशंकर,जीवन को आसान करो।।
कालकूट ने सारे जगती में, हाहाकार मचाया है।
दुष्टों के दुरभिसंधि से, मानव अब अकुलाया है।।
हे भुजंग-भूषण महादेव, हे नीलकंठ विषपान करो।
हे करूणानिधि,हे शिवशंकर,जीवन को आसान करो।।
हे डमरूधर प्रलय रोक लो,सृष्टि चक्र गड़बड़ा रहा है।
अस्त व्यस्त हुए हैं मानव,चलने में लड़खड़ा रहा है।।
हे नटेश्वर ध्वंस रोक लो,नव सृजन का एलान करो।
हे करूणानिधि,हे शिवशंकर,जीवन को आसान करो।।
हे त्रिलोचन ज्ञान चक्षु दो,नीर क्षीर कर पायें हम।
प्रखर प्रज्ञा दे ज्ञान पुष्ट हो,परहित में जी जाएँ हम।।
उथल पुथल हो रही सृष्टि में,महारुद्र कल्याण करो।
हे करूणानिधि,हे शिवशंकर,जीवन को आसान करो।।
-उमेश यादव
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