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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

साँसें तुम्हारी गुरुवर

 

*साँसें तुम्हारी गुरुवर*

साँसें तुम्हारी गुरुवर,प्राण भी तुम्हारा था

जीवन दिया था तूने,तुम्हीं ने संवारा था।।


पल वो अलौकिक था,शरण में बिठाया था

भटक हम रहे थे तूने, गले से लगाया था।।

गुनाहों सहित ही तुमने, हमें स्वीकारा था

जीवन दिया था तूने,तुम्हीं ने संवारा था।।

 

सब कुछ पाया हमने,जैसा मन ने चाहा था

सर पर हाथ तेरा था मैं,जब भी कराहा था।।

सिखाया तुम्हीं ने चलना,जहां उजियारा था

जीवन दिया था तूने,तुम्हीं ने संवारा था।।

 

दिया था वचन जो मैंने,निभा नहीं पाया हूँ

सपने तुम्हारे थे जो, सजा नहीं पाया हूँ।।

समझ नहीं पाया मैंने, तेरा जो इशारा था।

जीवन दिया था तूने,तुम्हीं ने संवारा था।।

 

पल पल जाए बीता, मन घबराता है

तेरे पास आने से भी,डर लग जाता है।।

तुम्हें क्या बताऊंगा की,मैं ना तुम्हारा था

जीवन दिया था तूने,तुम्हीं ने संवारा था।।

 

चूक  हुई जो हमसे, उसे क्या भुलाओगे?

जिंदगी के पल हैं थोड़े,राह अब दिखावोगे।।

कैसे भुलाऊं गुरुवर, माँ ने जो दुलारा था

जीवन दिया था तूने,तुम्हीं ने संवारा था।।

 

शपथ है तुम्हारी गुरुवर,तुम्हारे रहेंगे

मिलजुलकर हम सारे,कार्य अब करेंगे।।

पूरा करेंगे गुरुवर, प्रण जो तुम्हारा था

जीवन दिया था तूने,तुम्हीं ने संवारा था।।

उमेश यादव 27-6-21

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