*दीपावली मनाना है*
अन्धकार को दूर हटाने,पावन ज्योति जलाना है।
धरा धाम हो सुखी समुन्नत,दीपावली मनाना है।।
अंधकार हारा है हरदम,सदा सत्य का विजय हुआ है।
असुर शक्तियों को परास्त कर,ज्ञान सूर्य का उदय हुआ है।।
तमसो माँ ज्योतिर्गमय का,संदेश हमें फैलाना है।
धरा धाम हो सुखी समुन्नत,दीपावली मनाना है।।
अज्ञान तिमिर से भटके हैं जो,उनको राह दिखाना है।
गहन निशा में सुप्त हृदय को,फिर झकझोर जगाना है।
सच्चाई की राह पुनः,हर मानव को दिखलाना है।
धरा धाम हो सुखी समुन्नत,दीपावली मनाना है।।
दीपों का त्योहार है पावन, आओ सब मिल दीप जलाएं।
दीन, दुखी, निर्बलों, विकलों के,आओ मिलकर कष्ट मिटाएं।
राम राज्य की परिकल्पना, फिर साकार कराना है।
धरा धाम हो सुखी समुन्नत,दीपावली मनाना है।।
उमेश यादव
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