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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

शांतिकुंज ही अपना घर है

 शांतिकुंज ही अपना घर है

शांतिकुंज  ही अपना घर  है, हम सबका गुरुद्वारा है।

जिस मिटटी में बचपन बिता,वह प्राणों से प्यारा है।।

 

जब से होश संभाला हमने,धरती पर चलना सीखा। 

डगमग करते पाँव हमारे, तुतली बातें करना सीखा।।

वह तो दिव्य तपोभूमि है, गुरुवर ने उसे संवारा है।

शांतिकुंज ही अपना घर है, हम सबका गुरुद्वारा है।।

 

उस मिटटी की खुसबू अब भी, सांसों को महकाती है।

खेले जिन गलियों में हमसब, उसकी याद सताती है।।

माताजी जी का स्नेह प्यार, स्मृति का अहम पिटारा है।

शांतिकुंज ही अपना घर है, हम सबका गुरुद्वारा है।।

 

निंद्रा में गुरुवर की वाणी, कर्णप्रिय हो भाती थी।

माताजी के मधुर गीत, तन्द्रा से हमें जगाती थी।।

अखंड दीप के दर्शन से,मिटता मन का अँधियारा है।

शांतिकुंज ही अपना घर है, हम सबका गुरुद्वारा है।।

 

बुआ जी की गोद हमें, कितना आनंद दिलाती थी।

सर्वश्रेठ हूँ मैं इस जग में, यह अहसास कराती था।।

उन अमृत से लड्डू पर तो,सौ सौ जीवन वारा है।

शांतिकुंज ही अपना घर है, हम सबका गुरुद्वारा है।।

                                 -आनंद उमेश यादव

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