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गुरुवार, 27 जनवरी 2022

गुरु दोहे

गुरु दोहे

गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु हैं,शिव हैं गुरु साकार।

परम ब्रह्म गुरु हैं स्वयं, नमन है बारम्बार।।1

 

गुरु गोविंद दोनों खड़े, हो किनका सम्मान

प्रथम गुरु का हो नमन, फिर पूजें भगवान।।2

 

ज्ञान प्रकाश देकर करते हैं,दूर सभी अज्ञान

सच्चे मन से कीजिए, अपने गुरु का ध्यान।।3

 

गुरु ज्ञान से ही संभव,हो पाता है हर काम

अवगुण मिट जाते सभी, होता है कल्याण।।4

 

कृपा के सागर हैं गुरु,मनुज रूप भगवान

मोह निशा को नष्ट करे,दिनकर के समान।।5

 

संत सदा कहते रहे,गुरु संग हो निर्मल भाव

बुद्धि विवेक मर जायेंगे,गुरु से ना करें दुराव।।6

 

गुरु के वचनों पर सदा,चलने का रहे प्रयास  

सुख सिद्धि मिलती नहीं,अगर न हो विश्वास।।7

 

अपने तपबल से सदा,करते विपदा का अंत।

गुरु कृपा कर शिष्यों में,सुख भर देते अनंत।।8

 

         बधिर श्रवण कर पाते हैं, गूंगों से वेद पढ़ाते हैं

अंधे की चक्षु बन जाते,गुरु सन्मार्ग दिखाते हैं।।9

 

वेद पुराण उपनिषद हैं वे,गुरु ज्ञान की गीता हैं

शिक्षा देने शिक्षक भी हैं,परम ज्ञान पुनीता हैं।।10

 

गुरु बिन अज्ञानी होते, बिन गुरु भटके राह

गुरु चरणों में जाने से, शेष  न रहती चाह।।11

 

गुरु  कृपा  हो जाने से, हो जाता है उद्धार

जन्म मरण से मुक्ति मिले,भव से होते पार।।

 

ज्ञानामृत गुरु बांटते,गुण का करे विकास

ज्ञान दीप बन ही स्वयं,अंतर भरे उजास।।

 

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